उत्तराखंड (Uttarakhand) के गढ़वाल मंडल में मिली मशरूम (Mushroom) की आठ नई जंगली प्रजातियां, पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal) के मशहूर मायकोलॉजिस्ट(मशरुम विज्ञानी) डा.कमल सेमवाल ने की खोज..
खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ अब मशरूम लोगों की आजीविका को संवारने में भी अहम भूमिका निभा रहा है। राज्य (Uttarakhand) के सैकड़ों लोग मशरूम (Mushroom) उत्पादन कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं। बात जब मशरूम की हो रही हों तो मायकोलॉजिस्ट(मशरुम विज्ञानी) डा.कमल सेमवाल को कैसे भुलाया जा सकता है। अब तक मशरूम की आठ नई प्रजातियों की खोज कर चुके डॉक्टर कमल ने हाल ही में पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal) जिले में मशरूम की नई जंगली प्रजाति का पता लगाया है। सबसे खास बात तो यह है कि उनकी खोज भी प्रतिष्ठित स्प्रिंगर पब्लिकेशन के फंगल डाइवर्सिटी जर्नल में प्रकाशित हो चुकी है जिसमें उन्होंने मशरूम की नई प्रजाति का नामकरण पौड़ीगढ़वालेंसिस के रूप में किया है। इस नामकरण के पीछे उनका मकसद विश्व पटल पर पौड़ी गढ़वाल को वैज्ञानिक क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाना है। बता दें कि गढ़वाल विवि से डाक्टरेट की उपाधि हासिल करने कमल वर्तमान में पूर्वी अफ्रीका के एरिट्रिया में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर तैनात हैं। विभिन्न विषयों पर उनके अब तक तीस से ज्यादा रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं।
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अब तक मशरूम की आठ नई प्रजातियों को खोज चुके हैं कमल, देते हैं स्थानीय नाम:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रसिद्ध मायकोलॉजिस्ट (मशरुम विज्ञानी) डा.कमल सेमवाल ने राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले में पौड़ीगढ़वालेंसिस नामक मशरूम की नई जंगली प्रजाति का पता लगाया है। डॉक्टर कमल का कहना है कि जंगल में पाई जाने वाली मशरूम पेड़ों की जड़ों के साथ गहरा सहसम्बंध बनाकर वनों के इकोसिस्टम को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती है। इतना ही नहीं मशरुम पेड़ों को मिट्टी से विभिन्न प्रकार के तत्व सोखने में मदद भी करती है। वह कहते हैं कि उत्तराखंड के जंगलों में तमाम तरह की औषधियां पाई जाती है। इसी कारण यहां औषधीय मशरूम पर और भी अधिक शोध की जरूरत है। वह बताते हैं कि मशरूम की कई ऐसी प्रजातियां भी होती है जिनका इस्तेमाल विदेशों में दवाईयां बनाने में होता है। सबसे खास बात तो यह है कि अपने द्वारा खोजी गई मशरूम की नई प्रजातियों को कमल स्थानीय नाम देते हैं। वह अब तक ऑस्ट्रोवोलिट्स अपेन्डिकुलेटस (दून के लाडपुर में), कोरटिनेरीयस पौड़ीगढ़वालेंसिस (मुंडनेश्वर, फेडखाल), कोरटीनेरीयस इंडोपुरपुरेसिएस, कोरटिनेरीयस इंडोरसियस, कोरटीनेरीयस उल्खागढ़ियेनसिस (उलखागढ़ी, पौड़ी), कोरटीनेरीयस बालटियाटोइंडिकस (गोड़खियाखाल, खिर्सू) एवं अमानीटा स्यूडोरूफोब्रुनिसेन्स (चौबट्टाखाल) की खोज कर चुके हैं।
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