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Upnl: 8000 उपनल कर्मचारी जल्द हो सकते हैं नियमित, केवल समिति की रिपोर्ट का इंतजार
Upnl employee regulation policy: उपनल के 8000 कर्मचारी नियमितीकरण के दायरे में आए, उपनल कर्मचारियों की नियमितीकरण की उम्मीद बढ़ी..
8000 Upnl employee be permanent, committee regulation policy cut off date report awaited Uttarakhand latest news today: उत्तराखंड में विभिन्न सरकारी विभागों में उपनल के जरिए आउटसोर्स के आधार पर 10 साल और उससे अधिक समय से कार्य कर रहे कर्मचारियों की संख्या करीब 8000 पहुंच चुकी है। जिसके तहत अस्थाई कर्मचारियों को 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद नियमित करने की नीति के तहत अधिकांश कर्मचारियों के पक्के होने की उम्मीद बढ़ गई है। उपनल के रिकॉर्ड के अनुसार 8000 कर्मचारी वो है जिन्हें विभिन्न विभागों में काम करते हुए 10 से लेकर 20 साल हो चुके हैं। अब समिति को तय करना है कि नियमितकरण की कट ऑफ डेट कितने वर्ष की सेवा को माना जाएगा।
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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड मे उपनल के जरिए विभिन्न आउटसोर्स के आधार पर 10 साल और उससे अधिक समय से कार्यरत 8000 कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर आउटसोर्स कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ गई है। इतना ही नही बल्कि इस मामले मे विशेषज्ञ समिति को 10 से 20 साल की अवधि और पदों के सापेक्ष की गई नियुक्तियों के आधार पर विनियमितीकरण की नीति तय कर सरकार को इस मामले में रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। जिस पर समिति के अध्यक्ष आरके सुधांशु ने उपनल प्रबंधन और सभी विभागों को तय फॉर्मेट में जल्द से जल्द सभी कार्मिकों का ब्योरा मुहैया कराने को कहा है। सूत्रों की मानें तो समिति के पास अब तक 4200 कर्मियों का ब्योरा आया है।
समिति की तीन बैठके हो चुकी पूरी
हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उपनल कर्मचारियों को नियमित करने के लिए ठोस नीति बनाने की घोषणा की है जिसमें उन्होंने नियमितीकरण को लेकर प्रमुख सचिव वन सुधांशु की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया। इस समिति की अब तक तीन बैठक हो चुकी हैं। जिसमें हाई कोर्ट के आदेश पर सरकार संविदा दैनिक कार्य प्रभारीता, अंशकालिक आदि अस्थाई कार्मिको के नियमितीकरण के लिए नीति लागू करने की तैयारी में है। हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार इसमें कर्मचारियों की सेवा अवधि को 5 साल से बढ़ाकर 10 साल किया जाना प्रस्तावित है।
उपनल कर्मचारियों के लिए तय मानक होगा लागू
जिसे देखते हुए माना जा रहा है कि उपनल कर्मचारियों के लिए तय मानक लागू हो सकता है। लेकिन पेच केवल यह है कि उपनल कर्मचारी आउटसोर्स के आधार पर सेवा दे रहे हैं, जबकि संविदा कार्य प्रभारित आदि सीधा विभाग से जुड़े हैं। जिस पर समिति यह भी देख रही है कि पद के सापेक्ष कितने लोगों को नियुक्तियां मिली है और कितने लोगों को सेवा नियमित रूप से मिली है।इसके अलावा कई विभागों में विधिवत पद सृजित ना होने के बाद भी नियुक्तियां कर ली गई है जबकि 10 साल की सेवा वालों की संख्या काफी ज्यादा आ रही है लेकिन इसके साथ-साथ उनकी नियुक्ति का आधार भी अहम हो गया है।
नियमितीकरण ना होने पर 10 नवम्बर से आंदोलन करने की चेतावनी
बताते चले उपनल संयुक्त मोर्चे ने बीते शनिवार को प्रेमनगर कैंप कार्यालय में बैठक कर 10 नवंबर से आंदोलन पर जाने की चेतावनी दी है। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि सरकार मुख्यमंत्री की घोषणाओं को गंभीरता से नहीं ले रही हैं ,जिसकी वजह से आज तक उपनल कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं हो पाया है। सरकार बार-बार कर्मचारियों का रिकॉर्ड लेने की बात कर रही है जबकि 2018 में न्यायालय में पूरा डाटा उपलब्ध है। पिछले 7 महीने से एक पत्र सिर्फ डाटा एकत्रित करने का दिया जा रहा है। जिससे स्पष्ट है कि मामले को लटकाया जा रहा है। आपको जानकारी देते चले 10 से 20 साल की नियमित सेवा वाले कर्मचारी ही नियमितीकरण की प्रक्रिया में शामिल होंगे।
