Connect with us
Uttarakhand Government Happy Independence Day

अल्मोड़ा

उत्तराखण्ड

अल्मोड़ा : पिछले दस सालों से निर्माणाधीन चलमोड़ीगाड़ा-कलौटा मोटरमार्ग नहीं हुआ अभी भी शुरू

उत्तराखण्ड राज्य बने 19 वर्ष हो गए परन्तु आज भी पर्वतीय क्षेत्र के क‌ई हिस्से सड़क और संचार व्यवस्था से भली प्रकार जुड़ नहीं पाए हैं। इसी का नतीजा है कि तमाम असुविधाओं को भोग चुके ये लोग अब पलायन करने को मजबूर हैं। ताजा मामला राज्य के अल्मोड़ा जिले का है जहां पिछले 10 वर्षों से स्वीकृत निर्माणाधीन चलमोड़ीगाड़ा-कलौटा मोटर मार्ग का निर्माण कार्य अभी भी शुरू नहीं हो पाया है। इस कारण जहां रोड से वंचित 18-20 गांवों को बड़ी कठिनाई का सामना कर रहा है वहीं क्षेत्र के नेता और टेंडर से जुड़े ठेकेदार अपनी-अपनी दुकान चलाने में लगे हैं। एक बार फिर जब टेंडर से जुड़े एक ठेकेदार ने उक्त सड़क मार्ग का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के माध्यम से न कराए जाने को लेकर हाईकोर्ट में आपत्ति दर्ज की तो परेशान ग्रामीणों को भी न्याय के लिए हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। बताया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई होने तक PMGSY के द्वारा अंतिम फैसला होने तक रोक लगा रखी है।




 इम्प्लीडमेंट एप्लीकेशन की दायर: प्राप्त जानकारी के अनुसार अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी विकासखंड के अंतर्गत निर्माणाधीन चलमोड़ीगाड़ा-कलौटा मोटर मार्ग को स्वीकृति आज से 10 वर्ष पहले मिल चुकी है परन्तु आज तक सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया। पब्लिक कमेटी के एक पदाधिकारी के अनुसार टेंडर से जुड़े एक ठेकेदार सतीश पांडेय के द्वारा फिर से सड़क को हाईकोर्ट में धकेले जाने की खबर से नाराज ग्रामीणों ने फिर से उत्तराखण्ड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया है। बीते बुधवार 11 दिसम्बर को ग्रामीणों की समिति ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में इस मामले में अपनी इम्प्लीडमेंट एप्लीकेशन दायर की,जिसमें 12 दिसम्बर गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान ग्रामीणों की इम्लीडमेन्ट एप्लीकेशन पर माननीय हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मदन-मोहन पांडेय ने ग्रामीणों का पक्ष रखते हुये बहस की शुरुआत की और कोर्ट को बताया कि पर्दे के पीछे से सड़क निर्माण में लगातार बाधा खड़ी कर रहे नेताओं और उनके इशारों पर उनसे जुड़े ठेकेदारों द्वारा ठेका हाँसिल ना होने की स्थिति में गाँव की सड़क को जबरन कोर्ट में धकेलेने का चलन अब एक गैरकानूनी और खौफनाक हथियार बन चुका है। बहस और सबूतों का अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने ग्रामीणों के अधिवक्ता की दलीलों को न्याय संगत मानते हुये ग्रामीणों को केस की पार्टी मानते हुये उनकी इम्लीडमेन्ट को स्वीकार कर लिया है।




सड़क को न्ययालय में धकेले जाने से नाराज ग्रामीण : बताते चलें कि निर्माणाधीन चलमोड़ीगाड़ा-कलौटा मोटरमार्ग इससे पहले भी दो बार लगातार विवादों में रहा है,इससे पूर्व यह तब सुर्खियों में आया था जब क्षेत्र के आधे दर्जन ग्रामप्रधानों के एक ग्रुप ने उनके पक्ष के ठेकेदार को ठेका ना मिलने की आशंका को देखते हुये सड़क की निविदा पर आपत्ति उठाते हुये एक सामूहिक मेजरनामा लोकनिर्माण विभाग में लगा दिया था। उसके बाद फिर नये सिरे से टेडरिंग हुई थी जो एक बार फिर उस समय विवादों में उलझ गयी जब निविदा से जुड़े एक ठेकेदार ने टेडरिंग में धांधली का आरोप लगाकर निविदा को हाईकोर्ट में चुनौती देकर सड़क को कोर्ट में धकेल दिया था। सड़क को न्ययालय में धकेले जाने से नाराज ग्रामीणों ने अपनी एक पब्लिक कमेटी के माध्यम से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।उसके बाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान ठेकेदार की याचिका को आधारहीन बताते हुये उसे खारिज कर दिया था। फिलहाल ग्रामीण अब ठेकेदारों से जुड़े तीसरे विवाद से जूझ रहे हैं।




More in अल्मोड़ा

UTTARAKHAND GOVT JOBS

Advertisement Enter ad code here

UTTARAKHAND MUSIC INDUSTRY

Advertisement Enter ad code here

Lates News

deneme bonusu casino siteleri deneme bonusu veren siteler deneme bonusu veren siteler casino slot siteleri bahis siteleri casino siteleri bahis siteleri canlı bahis siteleri grandpashabet
To Top