Kamala bhandari Employment: कमला भंडारी ने मौन पालन कर अपनाया स्वरोजगार अपने साथ-साथ और महिलाओं को भी कर रही है प्रेरित
राज्य के युवा अपनी मेहनत एंव लगन से पहाड़ में रहकर ही अपना भविष्य संवारने में जुटे हैं। ऐसा करके वे न केवल उत्तराखण्ड को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं बल्कि स्वरोजगार को अपनाकर अपनी आर्थिकी को भी मजबूत कर रहे हैं। आज हम आपको पहाड़ की एक ऐसी ही एक महिला से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसने मौनपालन को स्वरोजगार के रुप में अपनाया है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं राज्य के अल्मोड़ा जिले के खत्याड़ी ग्राम पंचायत की मनोज विहार कॉलोनी निवासी कमला भंडारी की।जिसने महिला सशक्तीकरण की मिशाल पेश की है।बता दें कि ग्यारह साल की कड़ी मेहनत के बाद कमला मौनपालन से प्रतिवर्ष लगभग छह क्विंटल तक शहद का उत्पादन करके चार लाख रुपये से अधिक आय अर्जित कर रही हैं।(Kamala bhandari Employment)
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कमला द्वारा तैयार किए गए शहद की क्षेत्र में इतनी मांग है की घर पर ही सारा शहद बिक जाता है।बताते चलें कि कमला को मौन पालन की प्रेरणा अपने दादा जी से मिली। ग्यारह वर्ष पहले कमला मौनपालन से जुड़ीं और खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के माध्यम से मौन पालन करने का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया । इसके बाद कमला ने वर्ष 2013 में अपने घर पर दो बॉक्सो के साथ मौन पालन करना प्रारंभ किया। वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अंतर्गत लाॅन लेकर मौनपालन का व्यवसाय शुरू किया।वर्तमान में कमला के पास मधुमक्खी के 200 से अधिक बाक्स हैं।पूरे साल में वह करीब पांच से छह क्विंटल शहद का उत्पादन करती हैं।बता दे कि एक किलो शहद की कीमत लगभगा सात सौ रुपये है। शहद की बिक्री करके कमला चार लाख रुपये से अधिक आय अर्जित कर रही हैं। कमला भंडारी का कहना है कि शुरुआत में शहद का उत्पादन करने के दौरान कुछ दिक्कतें भी आईं लेकिन उन्होंने आसपास के लोगों में पहुंच बढ़ाकर शहद की बिक्री की।
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कमला के यहां उत्पादित शहद की आसपास के क्षेत्र में काफी मांग है। लोग उनके घर से ही शहद खरीदकर ले जाते हैं। इसके साथ ही कमला मौनपालन के लिए अन्य महिलाएं को भी प्रेरित कर रही हैं जिससे महिलाएं प्रेरित होकर स्वयं का स्वरोजगार शुरू कर सकें। अभी तक कमला व्यक्तिगत रूप से करीब 60 से अधिक महिलाओं को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दे चुकी हैं। साथ ही उन्हें मधुमक्खी के बाक्स भी उपलब्ध करवाए। अनेक परियोजनाओं के स्वयं सहायता समूहों की 100 से अधिक महिलाएं को प्रशिक्षण देकर उन्हें मौन पालन जोड रही हैं। मौन बाक्स का विक्रय करके भी वह आय अर्जित करती हैं। गरीब महिलाएं घर पर ही मौनपालन करके अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकती हैं।