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Uttarakhand news: Bageshwar DM Vineet Kumar became the angel for poor children, gave 67,500 rupees to save their life.

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बागेश्वर

उत्तराखंड: गरीब बच्चों के लिए फरिश्ता बनें डीएम विनीत जिंदगी बचाने को दिए 67,500 रुपये

बच्चों के इलाज को आगे आए बागेश्‍वर के जिलाधिकारी (Bageshwar DM) विनीत कुमार (Vineet KUMAR), नौ बच्‍चों के इलाज खर्च के लिए प्राथमिकता के आधार पर अवमुक्त किए 67,500 रुपये..

प्राचीन समय से ही हमारे वेद पुराण मानवता का पाठ पढ़ाते आए हैं। वर्तमान युग में इसकी जरूरत कम नहीं हुई है। वैसे तो लोगों को आज अपने से ही मतलब होता है, आर्थिक रूप से समर्थ होने के बाद भी क‌ई लोग दुसरों के दुखों को समझ नहीं पाते परन्तु हमारे समाज में ऐसी शख्सियतों की भी कोई कमी नहीं है जो दूसरों के दुख-तकलीफ को दूर करना ही अपना परम धर्म समझते हैं। ऐसी एक नेक शख्सियत हैं बागेश्वर जिले के जिलाधिकारी (Bageshwar DM) विनीत कुमार (Vineet KUMAR), जिन्होंने न सिर्फ अपने सराहनीय कार्य से नौ बच्चों की जिंदगी बचाने का काम किया है बल्कि वह राज्य के अन्य अधिकारियों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत हैं। जी हां.. जिलाधिकारी विनीत कुमार ने न सिर्फ इन नौ गरीब-बीमार बच्चों के इलाज की जिम्मेदारी उठाई है बल्कि प्राथमिकता के आधार पर उन्हें इलाज के लिए अस्पताल लाने एवं ले जाने के लिए 67500 की धनराशि भी अवमुक्त कर दी है। बता दें कि इन सभी बच्चों का चयन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत हुआ है। जिससे अंतर्गत इन सभी बच्चों का अस्पतालों में इलाज तो निशुल्क है परंतु अस्पतालों तक आने जाने का खर्चा बच्चों के परिजनों को खुद वहन करना पड़ता है। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर परिजन इसे वहन करने में भी सक्षम नहीं थे।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार बागेश्वर के जिलाधिकारी विनीत कुमार ने गरीब एवं बीमार बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए एक सराहनीय कदम उठाया है। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में चयनित जिले के नौ बच्चों को सर्जरी आदि के लिए बागेश्वर से फोर्टिस अस्पताल देहरादून, महंत इंद्रेश हॉस्पिटल, देहरादून और जौलीग्रांट स्थित हॉस्पिटल आदि चुनिंदा अस्पतालों में लाने-ले जाने का खर्चा वहन करते हुए 67500 रूपए की धनराशि अवमुक्त की है। इससे एक और तो बच्चों को गुणवत्तापूर्ण निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा मुहैया हो पाएगी वहीं दूसरी ओर बच्चों के साथ ही उनके परिवार में भी खुशहाली आएगी। बता दें कि बच्चों के परिजन आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण इस खर्च को वहन नहीं कर पा रहे थे। जिससे इन बच्चों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा था। बताया गया है कि जिलाधिकारी ने यह कदम स्वास्थ्य विभाग द्वारा जानकारी मिलने के बाद उठाया है। जिसमें अवगत कराया गया था कि यह बच्चे शल्य चिकित्सा हेतु काफी लम्बे समय से प्रतिक्षा में है और इनका समय से उपचार किया जाना अत्यंत ही आवश्यक है।

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Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

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