ias deepak rawat biography: आईएएस दीपक रावत ने खुद निजी यूट्यब चैनल से बातचीत में किया खुलासा, बचपन में बड़े होकर बनना चाहते थे कबाड़ी, हर बच्चे की तरह था चीजों को जमा करने का शौक….
काफी लंबे समय से उत्तराखंड में एक नाम खूब चर्चा में है वो नाम है कुमाऊं कमिश्नर के रूप में पहचान बनाने वाले जांबाज आईएएस ऑफिसर दीपक रावत का। उत्तराखंड के तेज तर्रार आईएएस अफसर और वर्तमान में कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। सोशल मीडिया के बाजीगर कहे जाने वाले आईएएस दीपक रावत लोगों के बीच अपनी एक विशेष छवि रखते हैं। सोशल मीडिया हो या अपने काम के क्षेत्र में लोगों के बीच आईएएस दीपक रावत हर जगह अपने सख्त रवैए एवं बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं। आज इन्हे उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरा देश जानता है और जाने भी क्यों ना। अपने कार्य को ईमानदारी से करने और जिम्मेदारियों के प्रति समर्पित भावना से लोगों के दिलों में एक अलग छाप छोड़ने वाले IAS अधिकारी दीपक रावत जनता के बीच उनकी समस्याओं को सुनने और उनका तुरंत समाधान करने को लेकर काफी चर्चित हैं।
(ias deepak rawat biography)
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बता दें कि दीपक रावत 2007 के बैच के आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में वे सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा सर्च किए जाने वाले अधिकारी हैं। दीपक रावत को एक सफल आईएएस अफसर और अपना कार्य सच्ची निष्ठा एवं ईमानदारी से निभाने के चलते केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है। पर क्या आप जानते हैं कि अपने दबंग और फिल्मी स्टाइल से छापेमारी कर लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़ने वाले और वर्तमान में कुमाऊं कमिश्नर के पद पर तैनात दीपक रावत का सपना कभी आईएएस अफसर का नहीं बल्कि कबाड़ी बनने का था। जी हां यह बात किसी और ने नहीं बल्कि खुद दीपक रावत ने एक निजी यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया कि उनका बचपन में आईएएस अधिकारी बनने का कोई सपना नहीं था। सभी बच्चों की तरह उनका भी ध्यान पुरानी चीजें जैसे टूथपेस्ट, माचिस इत्यादि के डब्बे और , कलाई घड़ी, खाली किए गए पॉलिश बॉक्स आदि जमा करने में रहता था। वे बताते हैं कि वे इनको जमा करके उनकी एक दुकान लगा देते थे। उन्हें पुरानी चीजों को इकट्ठा करना और उन्हें संभाल के रखना अच्छा लगता था। जब ये सब देख लोग उन्हें पूछते थे कि तुम्हे बड़ा होके क्या बनना है तो वो कहते थे कि मुझे बड़े होकर कबाड़ी बनना है क्यूंकि उन्हें लगता था कि कबाड़ी का पेशा बड़ा अच्छा पेशा है इसमें चीजों को जमा करना होता है। जिसके लिए एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ता है और रोज नई चीजें नईं जगह देखने को मिलती है इस कारण वह धीरे-धीरे कबाड़ी के पेशे की ओर आकर्षित होने लगे थे। जिसके लिए उन्होंने बड़े होकर कबाड़ी बनने का सपना देखा लिए था।
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तो यह थी कुमाऊं कमिश्नर एवं सिंघम आईएएस दीपक रावत के बचपन के उस किस्से के बारे में कुछ रोचक जानकारी जिसमें वह बड़े होकर कबाड़ी बनना चाहते थे। बचपन से ही इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के शौकीन IAS Deepak Rawat वर्तमान में सफल आईएएस अधिकारी और कुमाऊं कमिश्नर हैं। कुमाऊं कमिश्नर से पहले वे उत्तराखण्ड के अनेक जिलों जैसे बागेश्वर ,नैनीताल ,हरिद्वार आदि में जिलाधिकारी (डीएम) के रूप में कार्यरत रह चुके हैं और इसी के साथ कई अन्य पदों के कार्यभार भी संभाल चुके हैं। आईएएस दीपक रावत सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहने वाले अधिकारी हैं वह सोशल मीडिया के जरिए लोगों को जागरूक एवं उनके जनहित के लिए कार्य करते हैं। इनकी यूट्यूब और फेसबुक और ट्विटर पर बहुत तगड़ी फैन फॉलोइंग है इन्हें ट्विटर पर 40 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं और इनकी यूट्यूब फैन फॉलोइंग की बात करें तो 6 मिलियन से अधिक इनके यूट्यूब पर सब्सक्राइबर्स हैं। इसी के साथ वह एक हंसमुख मजाकिया और अपने काम के प्रति समर्पित अधिकारी हैं जो लोगों की समस्याओं के लिए हर वक्त उनके साथ खड़े रहते है और पूरे दिल से जनता कि समस्याओं को सुनकर उनका हाल निकालते हैं।
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