cricketer Neelam Bhardwaj uttarakhand : नीलम भारद्वाज ने वनडे क्रिकेट मे जड़ा दोहरा शतक , बढ़ाया प्रदेश का मान…
cricketer Neelam Bhardwaj uttarakhand : उत्तराखंड की प्रतिभाशाली बेटियां आज खेल के क्षेत्र में बेटों की तरह बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही है। इतना ही नहीं बल्कि वे हर क्षेत्र में अपनी चमक बिखेरने का साहस भी रखती है। यहां की बेटियां क्रिकेट, बैडमिंटन, मार्शल आर्ट, फेनसिंग चैंपियनशिप, फुटबॉल, बॉक्सिंग , स्प्रिंट चैंपियनशिप जैसे विशेष खेलों में अपनी जगह बनाकर पूरे प्रदेश का मान बढ़ा रही हैं जो अन्य बेटियों के लिए बेहद प्रेरणादायक है। हम आए दिन आपको ऐसी ही होनहार बेटियों से रूबरू करवाते रहते हैं जो अपनी मेहनत और समर्पण के दम पर विशेष उपलब्धि हासिल करती हैं। आज हम आपको नैनीताल जिले के रामनगर की नीलम भारद्वाज से रूबरू करवाने वाले हैं जिन्होंने महिला वनडे क्रिकेट में शानदार बल्लेबाजी करते हुए दोहरा शतक जमाया है। नीलम की इस विशेष उपलब्धि के बाद से उन्हें लगातार बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
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cricketer Neelam Bhardwaj ramnagar Nainital बता दें नैनीताल जिले के रामनगर की निवासी 18 वर्षीय नीलम भारद्वाज ने भारतीय सीनियर महिला वनडे क्रिकेट टीम की ओर से नागालैंड के खिलाफ शानदार पारी खेलते हुए लिस्ट ए क्रिकेट में दोहरा शतक जड़ा है। इतना ही नहीं बल्कि ऐसा कारनामा करने वाली वो सबसे कम उम्र की पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई है। दरअसल नीलम की पारी की बदौलत उत्तराखंड की टीम ने निर्धारित 50 ओवरों में दो विकेट के नुकसान पर 371 रन बनाए। जबकि दूसरी ओर नागालैंड की टीम 112 रन बनाकर सिमट गई। वही उत्तराखंड टीम ने 259 रनों से इस मैच में जीत हासिल की है। नीलम भारद्वाज ने 137 गेंद में 202 रन बनाकर इतिहास रचा है जिसमें उन्होंने अपनी धमाकेदार पारी खेलते हुए दो छक्के और 27 चौके जड़े हैं।
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cricketer Neelam Bhardwaj double century आपको बता दें कि नीलम भारद्वाज का बचपन झुग्गी बस्ती मे बीता। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने 8 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। नीलम के घर पर उनके पिता नरेश भारद्वाज अकेले कमाने वाले व्यक्ति थे जो दिहाड़ी मजदूरी कर बच्चों का भरण पोषण करते थे। लेकिन वर्ष 2020 में नीलम के पिता प्लाईवुड फैक्ट्री में हुए हादसे का शिकार हो गए थे इसके बाद नीलम के परिवार की आर्थिक स्थिति बुरी तरह खराब हो गई। इस कठिन समय में जब नीलम को कोई सहारा ना मिला तो उन्होंने अपने कठिन समय में क्रिकेट को अपना जीवन सहारा बनाया और शुरुआती दिनों में क्रिकेट और अपने डेली खर्चे के लिए बहुत मुश्किलों का सामना किया। नीलम के हौसले इतने बुलंद थे कि उसने कठिन समय में भी हार नहीं मानी और महज 12 वर्ष की उम्र मे वो अंडर-19 क्रिकेट के ट्रायल्स में शामिल हुई इसके बाद नीलम सीधा उत्तराखंड महिला क्रिकेट टीम में शामिल हुई और अब दोहरा शतक जमाकर नीलम ने वनडे में इतिहास रचा है।