Teacher Harish Dafouti Bageshwar: अपनी कड़ी मेहनत और लगन से पहाड़ के बच्चों का भविष्य संवार रहे हरीश, इन्हीं के मार्गदर्शन में दूरस्थ क्षेत्र की बेटी मानसी रावल ने राष्ट्रीय कला उत्सव में हासिल किया प्रथम स्थान….
जीवन के हर अँधेरे में रौशनी दिखाते है आप, बंद हो जाते है जब सारे दरवाजे नया रास्ता दिखाते है आप, सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं जीवन जीना भी सिखाते है आप।
एक शिक्षक पर लिखी इन चंद पंक्तियों को एक बार फिर पहाड़ के एक विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक ने पूरी तरह सही साबित कर दिखाया है। जी हां… बात हो रही है राजकीय इंटर कॉलेज सलानी में तैनात कला शिक्षक डॉक्टर हरीश दफौटी की, जो इन दिनों पहाड़ के इस दूरस्थतम क्षेत्र के बच्चों का भविष्य संवारने में जुटे हुए हैं। शिक्षक हरीश न केवल बच्चों के जीवन में किताबी ज्ञान का रंग भर रहे हैं बल्कि उनका सर्वांगीण विकास कर जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने का सार्थक प्रयास भी कर रहे हैं। यही कारण है कि जिस विद्यालय के छात्र-छात्राएं बीते कुछ वर्षों पहले तक ब्लॉक स्तर की गतिविधियों में भी प्रतिभाग नहीं कर पाते थे, पहाड़ के उसी स्कूल के बच्चे आज प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के कला उत्सव में भी अपना नाम दर्ज करा रहे हैं। आपको बता दें कि बीते दिनों उड़ीसा में आयोजित हुए राष्ट्रीय कला उत्सव ‘माइण’में खेल खिलौना विधा में प्रथम स्थान हासिल कर इसी विद्यालय में कक्षा 9वीं में पढ़ने वाली मनीषा रावल ने प्रथम स्थान हासिल कर न केवल अपने शिक्षक हरीश दफौटी की मेहनत और लगन का मान बढ़ाया है बल्कि समूचे प्रदेश को भी गौरवान्वित होने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है।
(Teacher Harish Dafouti Bageshwar)
प्राप्त जानकारी के अनुसार बागेश्वर जिले की लाहुरघाटी के एकमात्र राजकीय इंटर कॉलेज सलानी में कला शिक्षक डॉक्टर हरीश दफौटी की प्रथम नियुक्ति वर्ष 2011 में हुई थी। उस समय चमोली जिले की सीमा से लगे इस दूरस्थतम क्षेत्र में सुविधाओं का बेहद अभाव था। ऐसे में कोई और होता तो अपने तबादले की जुगत भिड़ाने में लग जाता परंतु डॉक्टर हरीश दफौटी ने वहीं रहकर इस दूरस्थ क्षेत्र के बच्चों का भविष्य संवारने का फैसला लिया। इसके लिए वे एक साल तक गांव में ही कमरा किराए पर लेकर रहे। उन्होंने संकोची स्वभाव के बच्चों के मन से न केवल झिझक निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ी बल्कि उन्हें प्रेरित कर पढ़ाई के साथ ही खेलकूद, कला, शिल्प के प्रति उनमें विशेष रूचि भी जाग्रत की। उन्होंने विद्यार्थियों को खेलकूद और अन्य गतिविधियों में प्रतिभाग करने के लिए तैयार किया। इसी का परिणाम था कि उनकी नियुक्ति के एक वर्ष के बाद ही इस विद्यालय की कबड्डी टीम ने राज्य स्तर की प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया। हालांकि इसके पश्चात वर्ष 2013 में उनका तबादला अन्यत्र हो गया परन्तु वहां जाकर भी उनका इस क्षेत्र के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ। यही कारण था कि वर्ष 2014 में उन्हें फिर से इसी विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया।
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बता दें कि राजकीय इंटर कॉलेज सलानी में दोबारा नियुक्ति करने के पश्चात भी उन्होंने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने फिर से विद्यार्थियों को कला, खेलकूद, शिल्प की तैयारी करानी शुरू कर दी। यह उनकी कड़ी मेहनत और लगन का ही परिणाम है कि वर्ष 2015 से राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के कला उत्सव और खेलकूद प्रतियोगिताओं में विद्यालय के छात्र छात्राएं लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। सबसे खास बात तो यह है कि राष्ट्रीय स्तर की कराटे प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल करने वाले शिक्षक हरीश निजी खर्च से विद्यार्थियों की मदद करते हैं। इसके साथ ही वह विद्यालय में रिंगाल, बगेट (चीड़ की छाल) से कलाकृतियां बनाने का प्रशिक्षण देने के लिए अतिरिक्त कक्षाएं भी चलाते हैं। आपको बता दें कि शिक्षक दफौटी ने शिल्पकला के संरक्षण के लिए कलांजय कलाधाम की स्थापना भी की है। इस कलाधाम में बने बगेट के फैंसी उत्पादों को जिले में होने वाले प्रमुख आयोजनों में प्रतीक चिह्न के रूप में मंगाया जाता है। इसके लिए उनके एक छात्र प्रमोद को जिला शिल्प रत्न पुरस्कार भी मिल चुका है। इतना ही नहीं अब आनलाइन माध्यम से इस कलाधाम में बने उत्पाद देश विदेश में पहुंचने लगे हैं।
(Teacher Harish Dafouti Bageshwar)