uttarakhand: सुनैना ने बेटे का फर्ज निभाकर की पिता की अंतिम इच्छा पूरी..
जहाँ हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार की प्रकिया को बेटे का अधिकार माना जाता है, वहीं आज फिर एक बेटी ने इस परंपरागत रूढ़ीवादिता को तोड़कर एक बेटे का फर्ज निभाया है। जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तराखण्ड (uttarakhand) के ऋषिकेश निवासी सुनैना साहनी जिसने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि देकर न सिर्फ रूढ़िवादी परम्पराओं को तोड़कर समाज के सामने एक नजीर पेश की अपितु बेटे और बेटी के बीच में अंतर समझने वाले लोगों को भी यह समझाने की चेष्टा कि बेटियां भी मुसीबत में बेटों से कहीं कम नहीं होती। श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के दौरान यह नजारा देखकर जहां हर शख्स की आंखे नम हो गईं इस बेटी पर गर्व भी हुआ कि उसने अपने पिता को जीवन के किसी भी मोड़ पर बेटे की कमी महसूस नहीं होने दी। यह वाकया आज पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है लोग इस वाकए के बारे में बातें कर अपनी फूल सी सुंदर बेटियों पर गर्व महसूस कर रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य (uttarakhand) के ऋषिकेश के चंद्रेश्वर नगर निवासी रामजी साहनी की कैंसर से आकस्मिक मौत हो गई थी। बताया गया है कि मृतक रामजी साहनी की पांच बेटियां हैं। बता दें कि पिछले करीब ढाई साल से कैंसर से पीड़ित रामजी साहनी ने मरने से पहले अपनी अंतिम इच्छा बताते हुए बेटियों से कहा था कि मरने के बाद उनकी बेटी ही उनको मुखाग्नि दे। पिता की इसी इच्छा को ध्यान में रखकर रामजी साहनी की तीसरी बेटी सुनैना साहनी ने सिर्फ श्मसान पहुंची बल्कि हिंदू धर्म के पारम्परिक रीति रिवाज को दरकिनार कर उसने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि देकर एक बेटे का फर्ज भी निभाया। इस अवसर पर सुनैना का कहना था कि पिता ने कभी भी हम पांचों बहनों को बेटों से कम नहीं समझा। उन्होंने भी पिताजी को कभी भी एक बेटे की कमी महसूस नहीं होने दी। राज्य की इस बेटी और उसकी सोच को देवभूमि दर्शन सलाम करता है।
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