Jaunsar Gagli war Tradition :देहरादून जिले के जौनसार बावर के कुरोली और उद्पाल्टा गांव मे आज दशहरा पर्व के दौरान गागली युद्ध का होगा आयोजन…
Jaunsar Gagli War Tradition : देशभर मे जहाँ एक ओर आज 12 अक्टूबर को दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया गया वहीं दूसरी ओर राजधानी देहरादून जिले के जौनसार बावर क्षेत्र के कुरोली व उद्पाल्टा गांवों मे दशहरे का पर्व नहीं मनाया जाता है जिसके पीछे गांव की कुछ खास परंपराएं और आस्थाएं हैं। दरअसल इस दौरान इन दोनों गांव में गागली युद्ध का आयोजन किया जाता है जो गांव की सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ा हुआ है। जिसकी अपनी अलग खासियत व अलग महत्व है।
jaunsar Dussehra Festival: बता दें आज 12 अक्टूबर को देशभर में दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा जिसमें रावण का पुतला दहन किया जाएगा। लेकिन इसी बीच उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित जौनसार बावर में सदियों से चली आ रही परंपरा के तहत कुरोली और उद्पाल्टा गांवों के ग्रामीणों के बीच गागली युद्ध होगा। दरअसल किंवदंती पर आधारित कहानी रानी और मुन्नी दो बहनों की है जो पानी लेने के लिए उद्पाल्टा गांव के पास स्थित क्याणी नामक स्थान पर गई थी जहां पर रानी का पैर फिसल गया था और वह कुएं मे गिरकर मौत के घाट उतर गई थी। वहीं मुन्नी को उसकी मौत का जिम्मेदार ना ठहराया जाए इसके डर से मुन्नी ने भी कुएं में छलांग लगाकर अपनी जान दे दी थी। मान्यता है कि दोनों बहनों की मौत से ग्रामीणों को श्राप लगा और इससे मुक्ति के लिए दोनों गांव के लोग आपस में गागली यानी अरबी के पौधों के तनों से युद्ध करते हैं। पर्व की तैयारी के तहत दोनों गांव में रानी व मुन्नी के प्रतीक के तौर पर गागली के तनों पर फूल सजाकर घरों में रखें गए हैं जहां दो दिनों तक उनकी पूजा होगी और आज दशहरे के दिन घरों में रखे इन प्रतीकों को ग्रामीण उसी कुएं में विसर्जित करेंगे।
इसके साथ ही गांव के पंचायती आंगन को सजाया गया है और अतिथियों के स्वागत के लिए पारंपरिक व्यंजन तैयार किया जा रहे हैं। जौनसार बाबर क्षेत्र के अन्य गांव के मंदिरों में भी सिल्वर और विजिट देवताओं की पालकिया दर्शन के लिए बाहर निकाली जाएंगी जहां श्रद्धालु देव चिन्हों के दर्शन करेंगे।