Connect with us
ghee sankranti festival date 2025 tyar
फोटो; देवभूमि दर्शन (Ghee sankranti 2025)

Highlights

Uttarakhand: Ghee Sankranti festival date 2025: घी संक्रांति त्योहार 2025 कब है?

घी संक्रांति 2025: उत्तराखंड का लोकपर्व, संस्कृति और स्वास्थ्य से जुड़ा अनूठा उत्सव

प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड की धरती पुरातन काल से ही अपनी लोककला, सभ्यता एवं संस्कृति के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां आज भी सौर पंचांग के अनुसार माह की शुरुआत की जाती है और सूर्य के राशि परिवर्तन पर प्रत्येक माह के प्रथम दिन को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वैसे तो प्रत्येक माह की संक्रांति पर उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कोई ना कोई त्यौहार मनाया ही जाता है परंतु आज हम आपको भाद्रपद संक्रान्ति के विषय में बताने जा रहे हैं। भाद्रपद मास के प्रथम दिवस को उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में घी संक्रांति के रूप में बनाया जाता है। इसे ओलगिया त्यौहार, ओलगिया संक्रांति, ‘घ्यूं त्यार’, घी त्यौहार आदि नामों से भी संबोधित किया जाता है।
यह भी पढ़ें- Ghee sankranti ghee tyohar: उत्तराखंड लोक पर्व “घी त्यार” घी सक्रांति का महत्व

घी संक्रांति 2025 कब है ?( Ghee Sankranti 2025 date)

उत्तराखंड में हर साल भाद्रपद संक्रांति के दिन यानी भाद्रपद मास के पहले दिन को ‘घी संक्रांति’, ‘ओलगिया’ या ‘घ्यूं त्यार’ के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व इस वर्ष 17 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। यह पर्व पहाड़ की मिट्टी, मेहनत, पशुपालन और पारिवारिक मान्यताओं से गहराई से जुड़ा है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड: उतरैणी- घुघुतिया त्यार पर ताजा हो उठी बचपन की यादें, पहाड़ में नहीं दिखती अब वो रौनक

क्यों मनाते हैं घी संक्रांति?(Why celebrate Ghee Sankranti)

घी संक्रांति सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि उत्तराखंड की पारंपरिक जीवनशैली, श्रमसाध्य कृषि और पशुपालन से उपजे आभार का पर्व है। यह वह समय होता है जब नई फसल की तैयारी शुरू होती है और दूध-दही-घी की प्रचुरता गांव-गांव में देखी जाती है। इस दिन गाय-भैंस को स्नान कराकर विशेष रूप से सजाया जाता है और पशुओं के प्रति आभार प्रकट किया जाता है। कुल मिलाकर यह लोकपर्व दुधारू पशुओं के प्रति आभार प्रकट करने का त्यौहार है।
यह भी पढ़ें- देवभूमि उत्तराखंड में विराजमान हैं एक ऐसा धाम, जहां मन्नत पूरी होने पर चढ़ाए जाते हैं धनुष-बाण

ओलगिया: रिश्तों को प्रगाढ़ करता त्योहार

‘ओलगिया’ शब्द का अर्थ होता है – उपहार। यह दिन खास तौर पर दामादों, बहनों के बच्चों और भांजों के लिए होता है, जिन्हें घर के बड़े-बुजुर्ग घी, कपड़े, फल और अन्य उपहार देते हैं। पहाड़ों में यह परंपरा परिवार और समाज में आपसी स्नेह और संबंधों को मजबूत करती है। इसकी शुरुआत कुमाऊं में चंद शासनकाल से मानी जाती है। कहां जाता है कि इस दिन कुमाऊं के लोग घी दूध से परिपूर्ण पारम्परिक व्यंजन राजदरबार में लेकर जाते थे और राजपरिवार को विशेष भेंट देकर संक्रांति की शुभकामनाएं देते थे।

आप भी दीजिए अपनों को शुभकामनाएं: Happy Ghee Sankranti Wishes 2025| उत्तराखंड लोक पर्व घी संक्रांति की शुभकामनाएं |Images|
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में फुलदेई( phooldei) त्यौहार क्यों मनाया जाता है? जानिए विशेष तथ्य….

स्वास्थ्य और स्वाद का मेल

पर्व के दिन पारंपरिक व्यंजन जैसे गेहूं का सत्तू, मडुए के लड्डू, घी से बने पुए, और गुड़ खाया जाता है। माना जाता है कि श्रावण की वर्षा ऋतु के बाद जब शरीर शिथिल होता है, तब घी जैसे पोषक तत्व से शरीर को ऊर्जा मिलती है। घी संक्रांति में “घी खाओ, तंदरुस्त रहो” का संदेश छिपा होता है।
यह भी पढ़ें- आज मनाया जाएगा उत्तराखण्ड के कुमाऊं क्षेत्र में खतडुवा त्यौहार, जानिए इसका विशेष महत्व

गनेल की लोककथा: (Ghee Tyar Ganel folklore)

इस पर्व से जुड़ी एक प्राचीन लोककथा भी प्रचलित है। माना जाता है कि जो व्यक्ति घी संक्रांति के दिन घी का सेवन नहीं करता, वह अगले जन्म में गनेल (घोंघा) बन जाता है। यह कथा एक सांस्कृतिक संकेत है, जो हमें इस दिन घी खाने की परंपरा का सम्मान करने की प्रेरणा देती है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड: भाईयों की कलाई पर बधेंगी रेशम से बनी राखियां दूसरे राज्यों से भी आ रही डिमांड

बदलते दौर में घी संक्रांति की प्रासंगिकता

आज के समय में जब परंपराएं धीरे-धीरे विस्मृत हो रही हैं, घी संक्रांति हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है। यह पर्व नई पीढ़ी को प्रकृति, पशुपालन और स्वास्थ्य के महत्व का अहसास कराता है।
यह भी पढ़ें- उत्तरायणी त्योहार है देवभूमि का घुघुतिया त्योहार जिसमें कौवों को भी खिलाते हैं पकवान

उत्तराखंड की सभी ताजा खबरों के लिए देवभूमि दर्शन के WHATSAPP GROUP से जुडिए।

👉👉TWITTER पर जुडिए।

More in Highlights

To Top
हिमाचल में दो सगे नेगी भाइयो ने एक ही लड़की से रचाई शादी -Himachal marriage viral पहाड़ी ककड़ी खाने के 7 जबरदस्त फायदे!