uttarakhand: कोरोना से जंग के लिए लॉकडाउन हुआ उत्तराखण्ड, दूध, दवा, राशन जैसी सेवाओं पर रोक नहीं..
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बीते रविवार को 31 मार्च तक समूचे उत्तराखण्ड में लाक डाउन की घोषणा कर दी है। यह पहली बार हो रहा है जब सरकार द्वारा पूरे राज्य में एक साथ लाक डाउन की घोषणा की गई है। ऐसे में कई सवालों का उभरना भी स्वाभाविक ही है। लेकिन आप सभी को इससे तनिक भी परेशान या भयभीत होने की जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार ने रोजमर्रा की सभी चीजों को लाक डाउन की श्रेणी से बाहर रखा हुआ है। साथ ही मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता को यह भी भरोसा दिलाया है कि राज्य में रोजमर्रा की सभी वस्तुओं जैसे खाद्यान्न, दूध, फल एवं सब्जियां तथा अति आवश्यकीय वस्तुओं जैसे दवाई आदि भरपूर मात्रा में उपलब्ध है और आने वाले दिनों में भी न तो इन सभी की आपूर्ति ठप की जाएगी और न ही राज्य की जनता को इसकी कमी नहीं होने दी जाएगी। यहां यह बताना अति आवश्यक है कि सरकार द्वारा लिया गया लाक डाउन का यह निर्णय भी राज्यवासियों की भलाई के लिए काफी सोच समझ कर लिया गया है और कोरोना वायरस के खिलाफ सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का राज्य की प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस सहित सभी राजनैतिक दलों ने भी समर्थन किया है।
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एक जगह पर जमा नहीं होने पांच से अधिक लोग, उल्लंघन करने वालों पर होगी कार्रवाई:- राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड को 31 मार्च तक लाक डाउन करने का निर्णय समूचे राज्य में बीती रात 9 बजे से लागू हो चुका है। विदित हो कि रात 9 बजे तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर राज्य के साथ ही समूचे देश में जनता कर्फ्यू लागू किया गया था। लाक डाउन की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस लॉक डाउन को एक सर्जन की छुरी की तरह इस्तेमाल किया गया है। राज्य में पहली बार इतनी कड़ी घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण पर जीत पाने का एक मात्र उपाय यही है कि सामाजिक रूप से सुरक्षित दूरी बना कर रखें। इसलिए लॉकडाउन का रास्ता अपनाया गया है। इसका एक ही उद्देश्य है कि संक्रमण अगर कहीं है तो वह उस जगह से दूसरी जगह नहीं फैले। इसीलिए आने जाने पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया गया है और यातायात व्यवस्था भी पूरी तरह से ठप कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने लोगों से कुछ दिन उसी शहर में बने रहने की अपील भी की है जहां वह वर्तमान में मौजूद हैं। लाक डाउन के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर पांच से अधिक लोगों के जमा होने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस आदेश का उल्लघंन करने वाले पर उत्तराखंड महामारी एक्ट (कोविड 19) 2020 के तहत तीन से छह माह की सजा और जुर्माने का प्रावधान भी सरकार द्वारा किया गया है।
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