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Happy Harela festival wishes 2024

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Happy harela wishes 2024: जानें लोकपर्व हरेला की खासियत, किसकी पूजा होती है इस दिन

Happy Harela wishes 2024: सावन के आगमन पर कुमाऊं और गढ़वाल में धूम – धाम से मनाया जाता है हरेला पर्व, इस बार मंगलवार 16 जुलाई को मनाया जाएगा हरेला…..

Happy Harela wishes 2024: हरेला उत्तराखंड का एक प्रमुख और लोकप्रिय पर्व है जिसे विशेष रूप से कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से हरियाली खेती और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक माना जाता है जिसे सावन के आगमन पर मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान लोग अपने घरों और खेतों में पेड़ – पौधे लगाकर उनकी देखभाल करते हैं। दरअसल देवभूमि उत्तराखंड मे ऋतुओं के अनुसार कई सारे त्यौहार मनाए जाते हैं जो पौराणिक परंपरा और संस्कृति को जीवंत रखे हुए हैं। उन्हीं में से एक पौराणिक संस्कृति और परंपरा रही है हरेला पर्व मनाने की। यह महीना भगवान शिव का विशेष महीना होता है इसलिए हर वर्ष सावन माह के प्रथम दिन यानी सावन संक्रांति को यह पर्व धूम धाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व मंगलवार 16 जुलाई को मनाया जाएगा।


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Happy Harela festival 2024: आपको बता दें कि इस दिन हरियाली और प्राकृतिक संरक्षण संवर्धन के प्रतीक लोगों द्वारा अपने ईष्ट देवता और मंदिरों में हरेला चढ़ाने की परंपरा होती है साथ ही धन धान्य और परिवार की सुख शांति के लिए कामना की जाती है। हरेला के पूर्व संध्या पर हरकाली पूजन यानी डेकर पूजा की परंपरा होती है इस पूजा में घर के आंगन से ही शुद्ध मिट्टी लेकर उसमें भगवान शिव और माता पार्वती समेत भगवान गणेश और कार्तिकेय की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाई जाती है इसके बाद इन मूर्तियों को सुंदर रंगों से रंगा जाता है। सूखने के पश्चात मूर्तियों का श्रृंगार किया जाता है इसके बाद हरेला के सामने इन मूर्तियों को रखकर उनका पूजन किया जाता है। परंपरा के अनुसार हरेला 9 दिन पहले 7 या 9 अनाजों को मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रखकर अनाज को बोया जाता है जिसे मंदिर के कक्ष में रखा जाता है तथा दो से तीन दिन में हरेला अंकुरित होने लगता है इसके पश्चात हरेले की विधि विधान से पूजा कर इष्ट देवता और भगवान शिव को समर्पित किया जाता है।
Happy Harela parv 2024


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हरेला पर होती है डिकर पूजा Happy harela wishes image 2024:

Happy harela wishes image 2024 हरेला पर्व के दौरान डिकर पूजा होती है डिकर मतलब पूजा के लिए मूर्ति या वनस्पतियों से बनाई जाने वाली देव मूर्तियां होती है जिनका निर्माण मुख्यतः कुमाऊं मंडल में हरेला त्यौहार और सातू आठू जन्माष्टमी पर किया जाता है। इस दिन कुमाऊं के पुरोहित वर्गीय समाज के द्वारा शिव पार्वती के विवाह का दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन शिव परिवार के सभी सदस्यों के मिट्टी के डिकरे बनाकर उन्हें हरियाली के पूडो के बीच स्थापित करके उनका विधिवत पूजन किया जाता है।
(Happy Harela 2024 wishes image)

बता दें कि डीकरे बनाने के लिए चिकनी मिट्टी रुई और पानी के मिश्रण को कूट-कूट कर उसे लचीला बना लिया जाता है तत्पश्चात उसे मूर्ति का आकार दिया जाता है जिसके चलते भगवान शिव, पार्वती गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियां बनाई जाती है जीने छाया में सुखाया जाता है। इसके बाद चावल आदि के लेप लगाकर सूखने के बाद इनके हाथ और पैर बनाए जाते हैं मूर्ति के शरीर पर रंग भरकर बारीक सीक से आंख और कान बनाए जाते हैं। बाद में वस्त्र आभूषणों को रंग से भर दिया जाता है। इस तरह हरेला की पूर्व संध्या पूजन के लिए इन मूर्तियों को डीकारे कहा जाता है। (Happy Harela 2024)

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