Harsh Chauhan lieutenant Army:पौड़ी जिले के हर्ष चौहान के तन पर सजी सैन्य वर्दी, भारतीय सेना मे बने लेफ्टिनेंट, IMA देहरादून से पास आउट होकर बढ़ाया परिजनों का मान……
Harsh Chauhan lieutenant Army गौरतलब हो कि बीते शनिवार को देहरादून में स्थित भारतीय सैन्य अकादमी ( आईएमए) मे संपन्न हुई पासिंग आउट परेड के बाद 355 जेंटलमैन कैडेट्स भारतीय सेना का अभिन्न अंग बन गए हैं जबकि 39 कैडेट्स मित्र राष्ट्रों की सेना मे शामिल हुए है। उन्हीं मे से एक होनहार युवा पौड़ी गढ़वाल जिले के कल्जीखाल स्थित डांगी गांव के रहने वाले हर्ष चौहान भी है जो आईएमए देहरादून की पासिंग आउट परेड के बाद भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं।बता दें कि हर्ष चौहान मूल रूप से राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के कल्जीखाल ब्लॉक स्थित डांगी गाँव के रहने वाले है जो वर्तमान समय मे लैंसडाउन के निवासी है। दरअसल हर्ष चौहान ने भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड के बाद सेना मे लेफ्टिनेंट पद हासिल कर अपने कंधों पर सितारे सजाए है जिससे उनके पैतृक गांव मे खुशी की लहर के साथ ही परिवार में हर्षोल्लास का माहौल बना हुआ है वहीं उनके परिजनों को बधाई देने वालों का तांता भी लगा हुआ है।
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इतना ही नहीं हर्ष चौहान के दादा स्वर्गीय रणवीर सिंह चौहान का साहित्य जगत में एक बड़ा नाम था वहीं दूसरी ओर हर्ष के प्रदादा हरी शाह लैंसडाउन के एक प्रसिद्ध स्वर्णकार हुआ करते थे। हर्ष चौहान के पिता स्वर्गीय अतुल सिंह चौहान एक शिक्षक थे जो अल्प आयु मे ही इस संसार को विदा कहकर चले गए थे लेकिन दादा रणवीर सिंह चौहान और हर्ष की माता रीना चौहान जो एक शिक्षिका है उन्होंने हर्ष का पालन पोषण करा। हर्ष के माथे पर बचपन से ही देश भक्ति का जज्बा झलकता था। हर्ष चौहान ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कक्षा पांचवी तक लैंसडाउन के कॉन्वेंट स्कूल प्राप्त से प्राप्त की जबकि उन्होंने अपनी उच्च और माध्यमिक शिक्षा 12वीं तक एमडीएस विद्यालय ऋषिकेश में प्राप्त की जिसके चलते हर्ष का चयन एनडीए में हुआ। हर्ष की माता रीना चौहान वर्तमान में पौड़ी जिले के गुमखाल स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत हैं जबकि उनके चाचा आशीष चौहान भी एक शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। आज यदि हर्ष के स्वर्गीय दादा और पिता इस दुनिया मे होते तो वह अपने बच्चे की इस कामयाबी को देखकर बेहद ही प्रसन्न होते। हर्ष चौहान को अपने स्वर्गीय दादा रणवीर सिंह चौहान की तरह अपने गांव की माटी और थाती की प्राकृतिक सौंदर्य से बेहद लगाव है जिसके चलते वह स्कूल की छुट्टियों में अक्सर अपने चाचा के गांव आते रहते थे इतना ही नहीं जब वह एनडीए में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे तो इस दौरान भी वह दो बार अपने दोस्तों के साथ गांव गए जहाँ पर उन्होंने कुलदेवी का आशीर्वाद पाने के साथ ही बड़े बुजुर्गों का भी आशीर्वाद पाया।