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Jasuli Datal heritage will be developed as guest houses in almora

अल्मोड़ा

उत्तराखण्ड

उत्तराखंड: जसुली देवी शौक्याणी की धर्मशालाएं होंगी अतिथि गृह के रूप में विकसित

जसुली दताल की धर्मशालाओ (Jashuli Datal Heritage) को अतिथि गृह के रूप में विकसित करेगा अल्मोड़ा (Almora) प्रशासन, अभी तक पांच धर्मशालाएं हुई चयनित..

हमेशा से देवभूमि के रूप में विश्व प्रसिद्ध उत्तराखण्ड की पावन धरती पर कभी भी न तो दानवीरों की कमी रही और ना ही तीर्थयात्रियों की। प्राचीन काल में जहां ऋषि मुनि इस पावन धरती पर जप-तप करते थे तो मध्य कालीन भारत में भी श्रृद्धालु चारों धामों सहित कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर आते-जाते रहते थे। क‌ई किलोमीटर की इस दुर्गम यात्रा में श्रृद्धालुओं को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े इसी उद्देश्य से देवभूमि उत्तराखंड के कई दानवीरों ने जगह-जगह धर्मशालाओं का निर्माण कराया था। जिनमें न सिर्फ श्रृद्धालुओं के ठहरने की उचित व्यवस्था थी बल्कि उनके खाने-पीने का सामान भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता था। उत्तराखण्ड के सीमांत क्षेत्र की ऐसी ही एक दानवीर महिला थी जसुली दताल उर्फ जसुली शौक्याणी जिनकी कुछ धर्मशालाएं (Jashuli Datal Heritage) अभी भी पहाड़ में मौजूद हैं, लेकिन देखरेख के अभाव में जीर्ण-शीर्ण हालत में पहुंच चुकी इन धर्मशालाओं को सहेजने के लिए अब प्रशासन आगे आकर इन्हें अतिथि गृह के रूप में विकसित करने जा रहा है। इसके लिए अल्मोड़ा (Almora) जनपद में भी पांच धर्मशालाओं का चयन किया गया है।
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Uttarakhand jasuli Datal Shaukyani almora

13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन योजना के तहत होगा धर्मशालाओं का पुननिर्माण:-

प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने पर्यटन विभाग के माध्यम से 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन योजना के तहत दानवीर जसुली दताल की इन धर्मशालाओं को नया रूप देकर अतिथि गृह में विकसित करने का फैसला लिया है, इसके अंतर्गत अल्मोड़ा जिले के तमाम स्थानों पर धर्मशालाओ को चिन्हित किया जा रहा है, जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे ने बताया कि धर्मशालाओ का पुनर्निर्माण कर उन्हें अतिथि गृह के रूप में विकसित किया जाएगा। बता दें कि अल्मोड़ा जिले में ही जसुली द्वारा बनाई गई 30 से 40 धर्मशालाएं होने की संभावना है यह सभी धर्मशालाएं नौलो तथा गधेरो के समीप बनी हुई है, जिले में अब तक पांच स्थानों पर जसुली देवी की बनाई धर्मशालाएं मिल चुकी है, जिन्हें अब अतिथि गृह के रूप में संवारा जाएगा। बताते चलें कि जसुली देवी अपने जमाने की धनवान महिला थी, एकमात्र बेटे की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति का कोई वारिस नहीं बचा था जिससे दुखी होकर उन्होने अपने पास रखे सोना ,चांदी व जेवरात को नदी में बहा देने का निर्णय ले लिया। कहा जाता है कि जसुली देवी के इस फैसले की जानकारी जब अंग्रेज कमिश्नर रैमजे को मिली तो उन्होंने जसुली देवी से मिलकर उन्हें संपत्ति को नष्ट करने के बजाय सामाजिक कार्यों में लगाने का सुझाव दिया, उनके सुझाव पर जसुली ने कैलाश-मानसरोवर जाने वाले यात्रा मार्ग पर 200 से अधिक धर्मशालाओं का निर्माण करवाया था।

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