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Jitendra Singh Rautela passed National Umpire Exam dwarahat almora
Image : social media ( Jitendra Rautela Umpire Exam)

UTTARAKHAND NEWS

अल्मोड़ा के जितेंद्र रौतेला राष्ट्रीय अंपायर परीक्षा में हुए पास पिता दिल्ली में चलाते हैं आटो

Jitendra Rautela Umpire Exam : द्वाराहाट विकासखंड के छबिसा के जितेंद्र सिंह रौतेला ने BCCI भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा आयोजित राष्ट्रीय अंपायर परीक्षा की उत्तीर्ण, पिता हैं ऑटो चालक , एक और मौके के इंतज़ार मे गुजारे 10 साल ….

Jitendra Singh Rautela passed National Umpire Exam dwarahat almora: उत्तराखंड के होनहार युवाओं की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है यहां के युवा आए दिन राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल कर अपने परिजनों का मान बढ़ा रहे हैं। हम आए दिन आपको ऐसे ही होनहार युवाओं से रूबरू करवाते रहते हैं जिन्होंने किसी विशेष क्षेत्र में उपलब्धि हासिल की हो। आज हम आपको अल्मोड़ा जिले के जितेंद्र सिंह रौतेला से रूबरू करवाने वाले हैं जिन्होंने बीसीसीआई भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा आयोजित राष्ट्रीय अंपायर की परीक्षा उत्तीर्ण की है।

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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार जितेंद्र सिंह रौतेला   मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट विकासखंड के ग्राम छबिसा के रहने वाले है जिन्होंने बीसीसीआई भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा आयोजित राष्ट्रीय अंपायर की परीक्षा उत्तीर्ण की है। जितेंद्र एमबीए डिग्री धारक है जिन्होंने 150 में से 131. 5 अंक प्राप्त किए है इतना ही नही बल्कि 141 उम्मीदवारों में से वो 17 वें स्थान पर रहे है । जितेंद्र रौतेला गिरीश चंद्र रौतेला के सुपुत्र है जो वर्तमान में दिल्ली के सागरपुर के निवासी हैं।

एक और मौके की तलाश मे गुजारे 10 साल

जितेंद्र ने  पहली बार वर्ष 2015 में अंपायरिंग परीक्षा दी थी और बीसीसीआई द्वारा आयोजित एक सेमिनार के लिए वह 25 उम्मीदवारों में से चुने गए थे लेकिन MBA के दूसरे वर्ष की परीक्षा देने के कारण उन्हें कुछ सत्र छोड़ने पड़े। बताते चले बीसीसीआई सालाना परीक्षा आयोजित नहीं करता है जिसके कारण जितेंद्र को एक और मौका पाने के लिए 10 वर्ष का इंतजार करना पड़ा। जितेंद्र बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं जिनके पिता ऑटो चालक हैं। जितेंद्र का कहना है कि उन्हें हमेशा से अंपायरिंग का शौक रहा है जिसके लिए उन्होंने कई ऐसे काम ठुकरा दिए जिनमें अंपायरिंग से ज्यादा सैलरी मिलती थी। जितेंद्र की इस विशेष उपलब्धि के बाद से उन्हें लगातार बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है वहीं परिजनों में खुशी का माहौल बरकरार है।

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