Kausani Tea Factory : बागेश्वर जिले से कैबिनेट मंत्री बनने के बाद चंदन राम दास ने उठाया पहला ऐतिहासिक कदम कौसानी में खोलेंगे फिर से चाय फैक्ट्री
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के अंतर्गत कौसानी क्षेत्र पर्यटन के लिए तो विशेष रूप से जाना ही जाता है ।इसके साथ ही चाय बागानों के लिए भी बेहद प्रसिद्ध है। एक दौर था जब कौसानी चाय बागान पूरे देश में अपनी विशेष पहचान बना चुका था और साथ ही कई स्थानीय लोगों को स्वरोजगार से जोड़ चुका था। लेकिन सिर्फ सरकार की नीतियां कुछ इस तरह बदली की चाय फैक्ट्री ही बंद हो गई अब नए सरकार को लेकर फिर से लोगों में एक आस जगी है 21 वर्ष पहले खोली गई चाय फैक्ट्री अब फिर से 6 वर्ष बाद सुचारू होगी। बागेश्वर जिले से कैबिनेट मंत्री बनने के बाद चंदन राम दास का यह पहला ऐतिहासिक कदम है। बता दें कि चाय की इस फैक्ट्री के दोबारा खुलने से क्षेत्र के लगभग 3000 से अधिक किसानों को फायदा होगा। बताते चलें कि वैसे तो फैक्ट्री का संचालन प्राइवेट तौर पर होता है लेकिन टी बोर्ड द्वारा इस फैक्ट्री को स्वयं संचालित करने की बात कही जा रही है।(Kausani Tea Factory)
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बता दें कि वर्ष 1994-95 में कुमाऊं मंडल विकास निगम और गढ़वाल मंडल विकास निगम में चाय प्रकोष्ठ की नींव रखी गई। इसके लिए लगभग 10 किलोमीटर केअंतर्गत 211 हेक्टेयर भूमि को चाय बागान के लिए चयनित किया गया। जिसमें 50 हेक्टेयर भूमि पर ही चाय बागान विकसित किए। वर्ष 2001 में व्यावसायिक तौर पर चाय बनाने की तैयारी शुरू हुई । चाय प्रकोष्ठ ने एक निजी कंपनी गिरीराज को कौसानी में चाय की फैक्ट्री लगाने के लिए आमंत्रित किया।सात जून 2001 को हुए एमओयू के अनुसार अनुबंध अगले 25 वर्ष तक के लिए था। चाय फैक्ट्री लगाने को स्थापित करने का 89 प्रतिशत खर्चा गिरीराज कंपनी को ही उठाना पड़ा। वर्ष 2002 में 50 हेक्टेयर में विकसित चाय के बागान से 70 हजार 588 किलोग्राम कच्ची चाय की पत्तियां उत्पादित हुईं।जिसमे से लगभग 13 हजार 995 किलोग्राम चाय तैयार हुई थी। इसे उत्तरांचल टी के नाम से बाजार में उतारा गया था।
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