Uttarakhand Bobby Panwar Biography: बॉबी पंवार ने टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से ठोंकी है निर्दलीय ताल, रानी साहिबा को देंगे चुनौती….
वर्ष 2023 का फरवरी माह तो आपको याद ही होगा, जब देहरादून की सड़कों पर उत्तराखंड के इतिहास की एक काली दास्तां लिखी गई थी। जिसके विरोध में कई दिनों तक देहरादून के कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर बेरोजगार युवाओं ने धरना दिया था। उस दौरान उनकी प्रमुख मांग अपने नेता बॉबी पंवार सहित 13 युवाओं की रिहाई के साथ ही सीबीआई जांच की थी। आज हम आपको उस शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके एक आह्वान पर बीते 9 फरवरी 2023 को युवाओं का हुजूम देहरादून की सड़कों पर उमड़ पड़ा था। जी हां… हम बात कर रहे हैं इस आंदोलन का नेतृत्व करने वाले बॉबी पंवार की, जो अब टिहरी गढ़वाल संसदीय सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी समर में कूद पड़े है। बीते दिनों उनके नामांकन के दौरान उमड़ी युवाओं की भीड़ ने न सिर्फ कांग्रेस पार्टी बल्कि सत्ताधारी भाजपा के नेताओं को भी सकते में डाल दिया है। चुनावी रणनीतिकार जहां उन्हें एक प्रबल दावेदार के रूप में देख रहे हैं वहीं भाजपा और उसकी उम्मीदवार एवं वर्तमान सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह ने उन्हें एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में स्वीकार कर लिया है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर उत्तराखंड के तमाम चुनाव जीतती आ रही भाजपा ने अब इस संसदीय सीट पर एक बार फिर मोदी को बुलाने का ऐलान कर दिया है।
(Uttarakhand Bobby Panwar Biography)
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मूल रूप से जौनसार बावर क्षेत्र के रहने वाले हैं बॉबी पंवार, किसान परिवार से रखते हैं ताल्लुक…
आपको बता दें कि बॉबी पंवार मूल रूप से राज्य के देहरादून जिले के जौनसार बावर क्षेत्र के चकराता तहसील के लाखामंडल के रहने वाले हैं। वर्ष 2017 में डाकपत्थर डिग्री कॉलेज से स्नातक करने वाले बॉबी पंवार का परिवार खेतीबाड़ी कर अपनी आजीविका चलाता है। स्नातक करने के बाद वह कोचिंग कर उत्तराखण्ड सरकारी नौकरी की तैयारी करने लगे परन्तु वर्ष 2017 में कोई भी भर्ती नहीं निकली। जिसके बाद वह वर्ष 2018 में बेरोजगार संघ से जुड़ गए और भर्तियां निकालने के लिए आंदोलन करने लगे। सरकार के प्रति उनके कड़े तेवरों और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए उन्हें इसी वर्ष युवाओं द्वारा बेरोजगार महासंघ का अध्यक्ष भी घोषित कर दिया गया। जिसके बाद उनके नेतृत्व में हजारों की संख्या में युवाओं ने भर्तियां निकालने के लिए वर्ष 2018 में ही सचिवालय कूच भी किया। युवाओं के इस आंदोलन की सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जहां पुलिस को युवाओं को रोकने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा वहीं कुछ ही समय बाद उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा भर्तियों की विज्ञप्तियां जारी कर दी गई।
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बता दें कि उत्तराखंड बेरोजगार महासंघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार बीते कई समय से परीक्षाओं में धांधली की मांग उठाते रहे हैं। यह उन्हीं के प्रयासों का परिणाम है कि जहां एसटीएफ द्वारा लगातार कई परीक्षाओं में धांधली की जांच की जा रही है वहीं उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बड़ौनी तक को भी अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा। उनके प्रयासों के कारण ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा परीक्षाओं में जांच के आदेश राज्य के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को दिए गए थे। धांधली की जांच को लेकर उन्होंने वर्ष 2020, 2021 एवं 2022 में भी कई आंदोलन किए। उनके द्वारा इस मामले में कई साक्ष्य भी मीडिया और सरकार के समक्ष रखे गए। सरकार को झुकाने का साहस रखने वाले बॉबी की नेतृत्व क्षमता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि फरवरी 2023 में हुए आंदोलन के बाद से जहां सरकार उनसे खौफ खाई हुई है वहीं उस दौरान सरकारी अधिवक्ता की तरफ से उनकी जमानत याचिका को टालने की हरसंभव कोशिश की गई। उस दौरान सरकार को यह भय सता रहा था कि अगर बाबी पंवार जेल से छुट जाते हैं तो सीबीआई जांच को लेकर युवाओं द्वारा चलाया जा रहा यह आंदोलन एक जनआंदोलन में तब्दील हो सकता है ं। अब जबकि बॉबी पंवार खुद चुनावी समर में कूद पड़े है और उनके समर्थन में युवाओं का हुजूम उमड़ रहा है तब क्या माला राज्य लक्ष्मी और भाजपा मोदी लहर में चल रही अपनी जीत को बरकरार रख पाएंगी। ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है। जिसका जवाब टिहरी की जनता 19 अप्रैल को देगी और शायद 4 मार्च का दिन टिहरी के इतिहास में एक नए सूरज का आगाज कर राजशाही बनाम आम युवा के बीच की इस लड़ाई में राजशाही को हराने का इतिहास रच दें।
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