बुधवार देर रात ही रच दी गई थी युवाओं के शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने की पटकथा, देखें विडियो
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uttrakhand police youth protest: बुधवार रात को युवाओं पर की गई पुलिस की कार्रवाई पर उठ रहे सवालिया निशान, आखिर किसके दबाव में किया गया शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने का प्रयास….
गुरूवार को देहरादून की सड़कों में जो कुछ हुआ उसके लिए उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा भले ही युवाओं और बाहरी तत्वों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा हों परंतु पुलिस ने युवाओं के इस शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने की पटकथा बुधवार देर रात ही रच दी थी। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही युवाओं की भीड़ आंदोलन स्थल पर उमड़ती चली गई। दरअसल, बुधवार देर रात को उत्तराखंड पुलिस द्वारा आंदोलन कर रहे युवाओं पर कार्रवाई की गई थी। पुलिस ने बुधवार रात को ही बेरोजगारों को प्रदर्शन स्थल से हटाना चाहा था। इसके लिए मध्य रात्रि को अंधेरे के आगोश में पुलिस द्वारा युवाओं पर बल प्रयोग भी किया गया। जिसके बाद युवाओं ने पुलिस पर बदसलूकी का आरोप भी लगाया है। इतना ही नहीं बुधवार रात प्रदर्शन स्थल पर जो कुछ भी हुआ उसका विडियो भी युवाओं द्वारा सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया। जिसके बाद हालात बिगड़ते चले गए। पुलिस ने शायद ही इस परिदृश्य की कल्पना की होगी।
(uttrakhand police youth protest)
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यहां यह बड़ा सवाल भी उठता है कि किसके आदेश पर पुलिस कर्मियों द्वारा देर रात को यह कार्रवाई की गई। जब इस बाबत मीडिया कर्मियों ने पुलिस अधिकारियों से वार्ता की तो पुलिस के आला अधिकारी इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं कह पाए। खबर तो यह भी है कि बुधवार को पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के वक्त कोई भी मजिस्ट्रेट लेवल का उच्च पुलिस अधिकारी मौके पर मौजूद ही नहीं था। यहां तक कि पुलिस के आला अधिकारियों को इस बात की खबर तक नहीं थी कि प्रदर्शन स्थल पर क्या हो रहा है। इस बात को कई मीडिया रिपोर्ट्स में खुलकर कहा गया है। बता दें कि पुलिस की कार्रवाई का वीडियो वायरल होने के बाद गुरुवार सुबह से ही युवा हजारों की संख्या में गांधी पार्क के सामने जमा हो गए। यहां भी अधिकारियों के सामने युवाओं ने पुलिस पर बदसलूकी के आरोप लगाए।
(uttrakhand police youth protest)
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कुल मिलाकर इस मामले में उत्तराखण्ड पुलिस की अपरिपक्वता ही नजर आई। जिसने युवाओं के आंदोलन को राज्य गठन के बाद सबसे बड़ा आंदोलन बनाने में अहम भूमिका निभाई। लाठीचार्ज और पथराव की घटनाओं से जहां यह आंदोलन अब उत्तराखंड के साथ ही राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आ चुका है। वहीं इससे उत्तराखण्ड सरकार की भी जमकर किरकिरी हो रही है। इससे उत्तराखण्ड सरकार पर दबाव भी साफ तौर पर देखा जा सकता है। यही कारण है कि जहां एक ओर देर रात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा नकल रोधी अध्यादेश 2023 को अपनी मंजूरी के बाद राजभवन भेज दिया है वहीं देहरादून के कई क्षेत्रों में बीती रात से ही धारा 144 भी पुलिस द्वारा लागू कर दी गई है। पुलिस अधिकारियों द्वारा यह कदम बेरोजगार संघ द्वारा शुक्रवार 10 फरवरी को उत्तराखंड बंद रखने के ऐलान के बाद उठाया गया है।
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