namakwali pahadi pisyu loon: पहाड़ का स्वादिष्ट मसालेदार नमक पहुंच रहा है देश विदेशों तक
जहां एक ओर राज्य में बेरोज़गारी चरम पर है और पर्वतीय क्षेत्रों के युवा बड़े बड़े महानगरों की ओर रुख कर रहे हैं वहीं राज्य के कुछ मेहनतकश वाशिंदों ने यह बात भी साबित की है कि अपार प्राकृतिक संसाधनों के धनी राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसरों की कोई कमी नहीं है। बस जरूरत है कड़ी मेहनत और लगन की। आज हम आपको राज्य की एक और ऐसी ही होनहार महिला से रूबरू कराने जा रहे हैं जो ‘नमकवाली’ ब्रांड के नाम से देशभर में पहाड़ के ‘पिस्यूं लूण’ (पिसा हुआ नमक) का जायका बिखेर रही है। जी हां…. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर स्थित ग्वाड़ी की रहने वाली शशि बहुगुणा रतूड़ी की, जो अपने इस ब्रांड के सहारे न केवल देश विदेश में पहाड़ी नमक के साथ ही पहाड़ी उत्पादों का स्वाद बिखेर रही है बल्कि राज्य की कई महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध करा रही है। आइए जानते हैं वर्तमान में देहरादून जिले के थानो क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि के रूप में स्थापित करने वाली शशि बहुगुणा रतूड़ी की कामयाबी की कहानी उन्हीं की जुबानी..(namakwali pahadi pisyu loon)
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ऐसे हुई शुरुआत:- शशिकला बताती है कि वे गांव में पहाड़ी गीत और मांगल गीत गाते थे। जिसके अभ्यास के दौरान उन्हीं में से एक महिला घर से हरा नमक (लूण) पीसकर लाती थी, जो सभी महिलाओं को बेहद पसंद आता था और महिलाएं रोज ही पिसा हुआ नमक मंगाया करती थी। बस यही से शशिकला को पिस्यूं लूण को देश-दुनिया तक पहुंचाने का विचार आया और वर्ष 2018 में उन्होंने तीन अन्य महिलाओं के साथ नमक पिसकर बेचने का काम शुरू कर दिया। आज उनकी यह मेहनत रंग लाने लगी है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके नेतृत्व में जहां 15 से अधिक महिलाएं इस काम से जुड़कर अपनी आर्थिकी संभाल रही हैं वहीं आज वह महीनेभर में एक कुंतल किलो पिस्यूं लूण बेच रही हैं। वो बताती है कि देश के अन्य हिस्सों तक अपने नमक की पहुंच बढ़ाने के लिए वर्ष 2020 में उन्होंने एक वेबसाइट बनाने के साथ ही, इसे अमेजन पर भी बेचना शुरू कर दिया। उनकी इस कामयाबी में सोशल मीडिया ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आज भी फेसबुक, वेबसाइट के जरिए लोगों की डिमांड उन तक पहुंच रही हैं।
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पीसे हुए नमक के साथ ही बेच रही है पहाड़ी उत्पाद:-
अपने नमकवाली ब्रांड की शुरुआत केवल पीसे हुए पहाड़ी नमक से करने वाली शशिकला आज न केवल इसी नमक को कई अन्य फ्लेवरों में उपलब्ध करा रही हैं बल्कि अन्य पहाड़ी उत्पाद भी अपने ब्रांड के बैनर तले बेच रही है। शशिकला बताती है कि आज वह अदरक फ्लेवर, लहसुन फ्लेवर और मिक्स फ्लेवर नमक बनाने के साथ ही मैजिक मसाले, अरसे, रोट, अचार, भी बना रही है इसके अतिरिक्त बदरी गाय के दूध से तैयार घी भी उनके द्वारा लोगों के घरों तक पहुंचाया जा रहा है। अपनी कामयाबी के बारे में बताते हुए शशिकला कहती हैं कि आज उनके नमक पीसने के काम में थानो, सत्यो, टिहरी, चंबा, उत्तरकाशी आदि स्थानों से 15 से ज्यादा महिलाएं हाथ बटा रहीं हैं। इनमें स्थायी रूप से काम करने वाली महिलाएं एक माह में 10 हजार रुपये तक कमा लेती हैं जबकि अस्थाई रूप से काम करने वाली महिलाओं को अलग अलग पारिश्रमिक दिया जाता है। सबसे खास बात तो यह है कि पहाड़ी नमक के प्रचार-प्रसार के साथ ही वे महिला नवजागरण समिति के माध्यम से गढ़वाली मांगल गीतों और लोक परम्पराओं को सहेजने का भी काम कर रही है।