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Pauri jila panchayat corruption garhwal district JE Dismissed tender
Image : social media ( Pauri panchayat corruption news)

UTTARAKHAND NEWS

Pauri corruption news: पौड़ी जिला पंचायत 2 जेई बर्खास्त पत्नी की फर्म को दिया काम

Pauri panchayat corruption news   : पौड़ी जिला पंचायत के दो कनिष्ठ अभियंता पद से बर्खास्त, निविदाओं में सामने आई थी अनियमितताएं....

Pauri jila panchayat corruption garhwal district JE Dismissed tender  :उत्तराखंड के पौड़ी जिले से एक बड़ी खबर सामने आ रही है जहां पर जिला पंचायत के दो कनिष्ठ अभियंताओं को पद से बर्खास्त कर उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई है। बताया जा रहा है कि यह फैसला उनके द्वारा निविदाओ संबंधी अनियमितताओं के चलते लिया गया है जिसके कारण उन पर गाज गिरी है । इतना ही नहीं बल्कि जिस फर्म को दोनों ने लाभ पहुंचाया उसमे उनकी पत्नियों की भी 25 फीसदी हिस्सेदारी की बात सामने आई है ।

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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार पंचायती राज सचिव चंद्रेश कुमार ने आदेश जारी करते हुए कहा की सुदर्शन सिंह रावत को जिला पंचायत पौड़ी में 5 अप्रैल 2021 को कनिष्ठ अभियंता के पद पर नियुक्त किया गया था जिनके खिलाफ निर्माण कार्य की आपूर्ति एवं सेवाओं की निविदाओ संबंधी अनियमिताएं सामने आने पर पिछले वर्ष 21 अक्टूबर को उन्हें निलंबित कर दिया गया था। वही सुदर्शन ने प्रभारी अभियंता के रूप में भवन और होटल के मानचित्रो को खुद स्वीकृत किया ,जबकि यह अधिकार अपर मुख्य अधिकारी को है जिसके तहत व्यक्तिगत लाभ के लिए उन्होंने गैर कानूनी काम किया।

फर्म मे पत्नी की 25 प्रतिशत भागीदारी

इतना ही नहीं बल्कि मैसर्स बुटोला इंटरप्राइजेज नाम की फॉर्म जिसे एक करोड़ 47 लाख से अधिक भुगतान किया गया उस फर्म में सुदर्शन की पत्नी की 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। पत्नी की फर्म में हिस्सेदारी की सूचना जिला पंचायत को ना देकर उन्होंने पद का दुरुपयोग कर फर्म को लाभ पहुंचाया। आदेश में कहा गया कि सुदर्शन की निलंबन की तिथि से सेवाएं समाप्त की जाती हैं।

आलोक रावत की भी सेवाएं समाप्त

वहीं दूसरी ओर शासन ने पौड़ी जिला पंचायत तदर्थ रूप से कार्यरत कनिष्ठ अभियंता आलोक रावत की भी सेवाएं समाप्त की है जिसमें जांच में पाया गया कि जिस फर्म को एक करोड़ 47 लाख से अधिक का भुगतान किया गया था उसमें उनकी पत्नी की 25 फ़ीसदी हिस्सेदारी थी। जांच में सामने आया कि कनिष्ठ अभियंता आलोक रावत के भाई अखिलेश रावत ठेकेदार हैं जो शासनादेश 1 नवंबर 1993 के खिलाफ है। आदेश के मुताबिक उन्हें पद पर बनाए रखना जनहित में नहीं है इसलिए उनकी सेवाएं अब समाप्त कर दी गई है।

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