Uttarakhand: पहाड़ के विकास सेमवाल (Vikas Semwal) ने कड़ी मेहनत से पाया मुकाम, कठिन परिस्थितियों में हार न मानकर आज जापान (Japan) में चला रहे हैं 5 रेस्टोरेंट..
कोई चलता पद चिन्हों पर , कोई पद चिन्ह बनाता है।
बस वही सूरमा वीर पुरुष, दुनिया में पूजा जाता है।
देता संघर्षों को न्योता, मानवता की खातिर जग में,
ठोकर से करता दूर सदा, जो भी बाधा आती मग में,
जो दान रक्त का देकर भी, अपना कर्तव्य निभाता है
बस वही सूरमा वीर पुरुष, दुनिया में पूजा जाता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गणगीत की इन चंद पंक्तियों को एक बार फिर सही साबित कर दिखाया है मूल रूप से राज्य (Uttarakhand) के टिहरी गढ़वाल जिले के रहने वाले विकास सेमवाल (Vikas Semwal) ने। ऐसे समय में जबकि हमने बीते शनिवार को ही सोलहवां प्रवासी भारतीय दिवस मनाया है, विकास जैसे होनहार युवाओं की सफलता एवं संघर्षों की कहानियों को बयां कर आप सभी तक पहुंचाना और भी अधिक जरूरी हो जाता है। विकास भी अन्य प्रवासी भारतीयों की तरह नौकरी की तलाश में जापान (Japan) गया था, कुछ वर्षों तक विकास ने वहां नौकरी भी की, परंतु 2011 में आई वैश्विक मंदी ने जल्द ही उनके रोजगार को छीन लिया। विकास चाहते तो ऐसी विपरीत परिस्थितियों में वापस अपने गांव लौट सकते थे परन्तु उन्होंने इन विषम परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और जापान में ही कारोबार करने की सोची। उन्होंने सबसे पहले अपने वर्किंग वीजा को बिजनेस वीजा में परिवर्तित कराया और इसके बाद साल 2013 में पहला रेस्टोरेट खोला। यह उनकी कड़ी मेहनत का ही परिणाम है कि विकास आज जापान के ओसाका शहर में जेजीकेपी (जय गुरु कैलापीर) नाम से पांच होटल-रेस्टोरेंट की एक श्रृंखला चलाते हैं। यही कारण है कि विकास जब भी अपने गांव आते हैं तो गांव के युवा उनसे बिजनेस के नुस्खे सीखते हैं।
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