Connect with us
Women died Almora news today

अल्मोड़ा

अल्मोड़ा: घायल महिला को चारपाई में ले गए 8 किलोमीटर पैदल तोड़ दिया दम….

Almora News Today: पृथक राज्य बनने के 23 वर्षों बाद भी पहाड़ में बुनियादी सुविधाओं का अभाव, ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा….

Almora News Today
उत्तराखण्ड पृथक राज्य बनने के 23 वर्षों बाद भी राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में किस तरह बुनियादी सुविधाओं का अभाव है इसकी बानगी आए दिन सामने आने वाली खबरों में देखने को मिलती रहती है। खास तौर पर पर्वतीय क्षेत्रों की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था आज किसी से छिपी नहीं है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सड़क एवं अस्पतालों के अभाव में आए दिन ग्रामीणों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। ऐसी ही एक दुखद खबर आज राज्य के अल्मोड़ा जिले से सामने आ रही है जहां खदेरा गांव में अस्पताल और सड़क न होने की वजह से बुजुर्ग महिला को समय पर इलाज नहीं मिल सका, जिसके कारण महिला को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस दुखद खबर से जहां मृतका के परिवार में कोहराम मचा हुआ है वहीं पहाड़ की दुर्दशा एक बार फिर सामने आई है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: पहाड़ से हल्द्वानी आते समय बाइक गिरी गहरी खाई में दो युवकों की गई जिंदगी….

अभी तक मिल रही जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के सल्ट तहसील के मौलेखाल क्षेत्र के खदेरागांव निवासी 70 वर्षीय गोविंदी देवी बीते दिनों घर पर गिरने से घायल हो गई थी। गांव तक सड़क सुविधा न होने के कारण गोविंदी के परिजनों ने अन्य ग्रामीणों की मदद से उन्हें चारपाई के सहारे आठ किमी पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पहुंचाया। पांच घंटे तक लगातार चलने के बाद चारपाई पर सड़क तक पहुंची गोविंदी को वाहन के जरिये पांच किमी दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) देवायल में भर्ती कराया गया। जहां चिकित्सकों ने उनकी नाजुक हालत को देखते हुए प्राथमिक उपचार के उपरांत उन्हें हायर सेंटर ले रेफर कर दिया। जिस पर परिजन उन्हें लेकर रामनगर अस्पताल पहुंचे तो यहां से भी चिकित्सकों ने हायर सेंटर रेफर कर दिया। जिस पर परिजन उन्हें दिल्ली की ओर ले जाने लगे लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उन्होंने दम तोड दिया।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के चलते पहाड़ में गई जच्चा बच्चा की जिंदगी..

आपको बता दें कि गोविंदी को सबसे पहले जिस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) देवायल में भर्ती कराया गया वहां न्यूरो सर्जन या फिजिशियन नहीं है। यहां तक कि अल्मोड़ा जिले में संचालित किसी भी सरकारी अस्पताल और जिले के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में भी न्यूरो के डॉक्टर तैनात नहीं हैं। अगर जिले के किसी भी अस्पताल में न्यूरो के डाक्टर होते तो शायद गोविंदी की जान बच सकती थी। बताते चलें कि सल्ट तहसील क्षेत्र का खदेरागांव, राज्य के उन गांवों में शामिल हैं जो सड़क सुविधा ना होने की वजह पलायन की मार झेल रहा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक दशक पूर्व तक 500 से अधिक की आबादी वाले इस गांव में अब सिर्फ 200 लोग रह ग‌ए है। इनमें भी अधिकांश बुजुर्ग है, युवा पीढ़ी पूरी तरह पलायन कर चुकी हैं। हालात यह है कि यहां स्थित प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल में एक भी छात्र न होने के कारण ताले लटकाने पड़े हैं। आपातकालीन परिस्थितियों में बुजुर्गों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए भी युवा ढूंढकर भी नहीं मिल रहे हैं। पहाड़ की दुर्दशा को बयां करती यह तस्वीर शायद ही हमारे सत्ताधारी नेताओं, हुक्मरानों, सिपहसालारों और जनप्रतिनिधियों तक पहुंच सकें।

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के चलते गई जच्चा बच्चा की जिंदगी…

उत्तराखंड की सभी ताजा खबरों के लिए देवभूमि दर्शन के WHATSAPP GROUP से जुडिए।

👉👉TWITTER पर जुडिए।

More in अल्मोड़ा

UTTARAKHAND GOVT JOBS

UTTARAKHAND MUSIC INDUSTRY

Lates News

To Top
हिमाचल में दो सगे नेगी भाइयो ने एक ही लड़की से रचाई शादी -Himachal marriage viral पहाड़ी ककड़ी खाने के 7 जबरदस्त फायदे!