Uttarakhand weather temperature today: आगामी महीने मार्च में पड सकती है मई जून जैसी गर्मी, मौसम विभाग ने बताई वजह…
Uttarakhand weather temperature today: उत्तराखंड मे इस वर्ष मौसम के तेवर लगातार बदलते देखने को मिले हैं जिसके कारण कभी बारिश तो कभी धूप का नजारा देखने को मिला। वहीं उच्च हिमालयी वाले क्षेत्रों में बर्फबारी भी देखने को मिली लेकिन इस दौरान जनवरी सामान्य से अधिक गर्म रही जिसके कारण फरवरी में भी गर्मी से राहत नहीं मिल रही है । इतना ही नहीं बल्कि चटक धूप खिलने से लोगों को मई जून जैसी गर्मी का आभास होने लगा है जिससे अंदेशा जताया जा रहा है कि आगामी महीने यानी मार्च और अधिक गर्म रहने वाला है। जो कहीं ना कहीं जलवायु परिवर्तन का संकेत दे रहा है जिसके कारण पश्चिमी विक्षोभ बेअसर हो रहे है । (WMO) ने चेतावनी दी है कि 2025 दुनिया के सबसे गर्म तीन सालों में शामिल हो सकता है। ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ता स्तर इसके उच्च तापमान का मुख्य कारण है। भारत में पिछले वर्ष यानी 2024 में भीषण गर्मी ने आम जनजीवन को खूब झुलसाया था। मौसम विभाग के अनुसार वर्ष 2024 भारत में 1901 के बाद से सबसे गर्म वर्ष रहा अर्थात पिछले वर्ष गर्मी ने 32 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा था।
Uttarakhand weather march update temperature today बता दें उत्तराखंड मे लगातार जलवायु परिवर्तन हो रहा है जिसके कारण फरवरी के महीने में ही मई जून जैसी गर्मी का आभास होने लगा है। जिस पर मौसम विभाग ने आशंका जताई है कि आने वाला महिना यानी मार्च उम्मीद से अधिक गर्म होने वाला है जिसमें लोगो के पसीने छुटने वाले है । मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक लंबे समय से बारिश ना होना और तापमान में लगातार वृद्धि होना इसका अनुमान जताया जा रहा है। वहीं ठंड के मौसम में पश्चिमी विक्षोभ बेअसर रहने से पूरे उत्तर भारत में अच्छी बारिश नहीं हुई जिसके चलते मौसम गर्म है। बताया जा रहा है कि इस बार सर्दियों में तीन पश्चिमी विक्षोभ आए जो तीनों बेअसर रहे और आखिरी पश्चिमी विक्षोभ का असर भी एक-दो दिन में समाप्त हो जाएगा जिससे फरवरी के अंत में 28 डिग्री तक पारा पहुंचेगा । जबकि 20 फरवरी के बाद तापमान में तेजी से बढ़ोतरी होने का पूर्वानुमान है इस दौरान बारिश होने की कोई संभावना नहीं बन रही है। जिसके कारण 3 वर्षों का रिकॉर्ड टूट सकता है। यह भी पढ़ें- Uttarakhand earthquake alert: उत्तराखंड में बड़ा भूकंप आने की संभावना वैज्ञानिक भी चिंतित