uttarakhand: दृष्टि ने लेफ्टिनेंट बनकर बढ़ाया देवभूमि का मान, देवभूमि की इस बेटी को बहुत बहुत बधाई..
आज राज्य (uttarakhand) की बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। शिक्षा से लेकर खेल के मैदान तक, गीत-संगीत की दुनिया से लेकर नृत्य के रंगमंच तक, यहां तक कि अब तो भारतीय सेना में भी देवभूमि उत्तराखंड (devbhoomi uttarakhand) की बेटियों का डंका बजने लगा है। आज हम आपको राज्य की एक ऐसी ही होनहार बेटी से रूबरू करा रहे हैं जिसने सेना में लेफ्टिनेंट बनकर न सिर्फ अपने माता-पिता का सिर गर्व से ऊंचा किया है अपितु पूरे राज्य (uttarakhand) को भी गौरवान्वित होने का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य (uttarakhand) के नैनीताल जिले के हल्द्वानी निवासी डॉ दृष्टि राजपाल की, जिन्हें आज 19 मार्च को पुणे में आयोजित पासिंग आउट परेड में न सिर्फ एक लेफ्टिनेंट का दर्जा मिला बल्कि भारतीय सेना का अभिन्न हिस्सा बनने का सुनहरा अवसर भी मिला। इस सुनहरे अवसर से जहां दृष्टि ने एक ऊंचा मुकाम हासिल किया वहीं अपने माता-पिता के सपनों को हकीकत का आईना भी दिखाया। बता दें कि देश में कोरोना वायरस की महामारी के चलते बशर्ते दृष्टि के माता-पिता को पासिंग आउट परेड में आमंत्रित नहीं किया गया था, जिसका उन्हें दुःख भी है परन्तु अपनी बेटी को सेना की वर्दी में देखकर ही वे गदगद हो गए।
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अपने पहले ही प्रयास में पाया था आर्म फोर्सेज मेडिकल कॉलेज में प्रवेश:- प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य (uttarakhand) के नैनीताल जिले के हल्द्वानी निवासी डॉ दृष्टि राजपाल थल सेना में लेफ्टिनेंट बनकर गई है। आज 19 मार्च को पुणे में आयोजित पासिंग आउट परेड में उनके कंधो पर सितारे सजाएं गए और इसके साथ ही उन्हें भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट का दर्जा भी हासिल हुआ। बता दें कि हल्द्वानी के निर्मला कान्वेंट स्कूल से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने वाली दृष्टि ने इण्टर के बाद पुणे के ए•एफ•एम•सी• (आर्म फोर्सेज मेडिकल कॉलेज) से एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई पूरी की। बताते चलें कि ए.एफ.एम.सी. से ही भारत की तीनों सेनाओं, थल सेना, वायु सेना और नौसेना के डॉक्टर्स चुने जाते हैं और सबसे खास बात तो यह है कि दृष्टि का इस कालेज में चयन उसके पहले ही प्रयास में वर्ष 2015 में हुआ था। जिसके पश्चात 4 वर्ष की कठिन पढ़ाई के उपरांत आज वह सेना में लेफ्टिनेंट बन गई। बताते चलें कि कोरोना वायरस के चलते पासिंग आउट परेड में इस बार बच्चों के परिजनों को आमंत्रित नहीं किया गया था। लेफ्टिनेंट बनकर अपने माता-पिता के साथ ही समूचे राज्य (uttarakhand) का नाम रोशन करने वाली दृष्टि के पिता डॉ. अतुल राजपाल जहां 1995 से चिकित्सक है वहीं उनकी माता डॉ. गुंजन राजपाल भी 1996 से एक चिकित्सक है।
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