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Uttarakhand Government Happy Independence Day
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उत्तराखंड का बेटा जयंत बना सेना में अफसर, पहाड़ में दौड़ी खुशी की लहर

uttarakhand: बेटे के आफिसर बनने से दोगुनी हुई जयंत के परिवार की होली की खुशी..alt="uttarakhand son Jayant become officer"

यूंही नहीं देवभूमि उत्तराखंड (devbhoomi uttarakhand) को सैन्य धाम का दर्जा दिया जाता है अपितु इसके पीछे राज्य (uttarakhand) के वे हजारों लोग हैं जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर न सिर्फ देशसेवा करने के अपने सपनों को पूरा किया वरन भारतीय सेना का हिस्सा बनकर राज्य का मान भी बढ़ाया। जिस तरह हम उत्तराखण्डियों का देशप्रेम जगजाहिर है उसी प्रकार यह भी सर्वविदित तथ्य है कि यहां के युवा किसी तरह सेना में जाने को लालियत रहते हैं। आज हम आपको राज्य (uttarakhand) के एक और ऐसे ही होनहार बेटे से रूबरू करा रहे हैं जिसने शनिवार को भारतीय सेना का हिस्सा बनकर न सिर्फ अपने सपने को पूरा किया बल्कि सेना में एक अधिकारी बनकर राज्य का मान भी बढ़ाया। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य (uttarakhand) के पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले जयंत अधिकारी की, जो बीते शनिवार को सेना में आफिसर बन ग‌ए है। इस खुशी के अवसर पर जयंत के माता-पिता ने खुद चेन्नई में आयोजित पासिंग आउट परेड में बेटे को बैच अलंकृत कर सेना को समर्पित किया। होली से ठीक पहले इतनी बड़ी खुशखबरी से जहां जयंत के परिजनों की त्योहार की खुशी दोगुनी हो गई है वहीं पूरे क्षेत्र में भी हर्षोल्लास का माहौल है।


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प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य (uttarakhand) के पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले जयंत अधिकारी सेना में आफिसर बन ग‌ए है। बीते शनिवार को चेन्नई में आयोजित पासिंग आउट परेड के दौरान उनका बैच अलंकरण हुआ। बता दें कि पिथौरागढ़ के विस्डम नर्सरी स्कूल से प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करने वाले जयंत ने इंटरमीडिएट की परीक्षा सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से उप्तीर्ण की। जिसके बाद उन्होंने पिथौरागढ़ महाविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई सम्पन्न की। तत्पश्चात जयंत ने सैन्य अधिकारी की परीक्षा दी और उसमें सफलता हासिल कर चेन्नई से प्रशिक्षण प्राप्त किया। बताते चलें कि शनिवार को आफिसर बनकर सेना का अभिन्न हिस्सा बनने वाले जयंत के पिता केएस अधिकारी पिथौरागढ़ जिला चिकित्सालय में सीनियर फार्मेसिस्ट है जबकि उनकी माता नंदा अधिकारी एक अध्यापिका है। जयंत ने अपनी इस अभूतपूर्व सफलता का श्रेय अपने कठिन परिश्रम के साथ-साथ माता-पिता एवं गुरुजनों को दिया है।


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