uttarakhand: आयोग की लापरवाही से लाखों युवाओं का भविष्य लगा दांव पर…
फारेस्ट गार्ड, यह वही भर्ती है जिसे चार साल पहले उत्तराखण्ड (uttarakhand) अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से 1208 पदों के लिए जारी किया गया था और इसके कुछ दिनों बाद ही वन मंत्री ने अपने आदेश से इसमें रोक लगा दी थी। करीब चार सालों बाद यह परीक्षा बीते रविवार 16 फरवरी को आयोजित की गई लेकिन इससे पहले कि आयोग इसकी आंसर शीट जारी करता सोशल मीडिया पर इसकी ओएमआर शीट और पेपर वायरल हो गया। इससे पहले कि आयोग कुछ समझ पाता यह वायरल होकर सभी छात्रों के फोन में पहुंच गई और आयोग के कुछ कहने से पहले ही प्रतियोगी सब कुछ समझ गए। उन्हें पक्का यकीन हो गया कि एक बार फिर परीक्षा में धांधली हुई है। आनन-फानन में आयोग की तरफ से बयान आया कि भर्ती के लिए साइबर सेल का गठन किया जाएगा, राज्य (uttarakhand) के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के द्वारा जांच आयोग की संस्तुति करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात की गई देखते ही देखते रूड़की और पौड़ी में दो-तीन व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और उन्हें इस धांधली का सरगना बताया गया उनमें से एक मुकेश सैनी है, जो मंगलोर में एक कोचिंग सेंटर चलाता है, जिसको पुलिस ने आज गिरफ्तार कर लिया है। सबसे खास बात तो यह है कि यह वही मुकेश सैनी है जिसके खिलाफ पहले से परीक्षाओं में फर्जीवाड़े के आरोप है।
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पहले से फर्जीवाड़े में लिप्त है मुकेश सैनी, एक बार फिर हुआ गिरफ्तार:- गौरतलब है कि राज्य (uttarakhand) के हरिद्वार जिले के मंगलौर के नारसन खुर्द में कोचिंग सेंटर चलाने वाले मुकेश सैनी द्वारा फॉरेस्ट गार्ड परीक्षा में ब्लूटूथ से नकल कराने का झांसा देने का मामला उस समय प्रकाश में आया था जब दो युवकों ने इस मामले की शिकायत पुलिस से की थी। इसके साथ ही संचालक मुकेश सैनी समेत आठ लोगों पर एक लाख रुपये लेकर नकल कराने का झांसा देने की भी शिकायत की गई थी। मंगलौर पुलिस ने बृहस्पतिवार की देर रात को फॉरेस्ट भर्ती परीक्षा में नकल कराने का झांसा देने के मामले में सरगना मुकेश सैनी को रूड़की से गिरफ्तार कर लिया है। बताया गया है कि गिरोह का सरगना मुकेश युवाओं को परीक्षा में नकल कराने के लिए ईयर फोन और ईयर पिक डिवाइस का प्रयोग कराता था। ईयर पिक से परीक्षार्थी फोटो खींचकर आरोपी को भेजते थे। मुकेश पर इससे पहले भी कई बार परीक्षाओं में फर्जीवाड़े के केस दर्ज है परन्तु उस पर अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की गई? यह सबसे बड़ा सवाल है। फारेस्ट गार्ड की परीक्षा आयोग द्वारा कराई गई थी लेकिन इसका रिजल्ट अब पुलिस की जांच पर निर्भर हो गया है। फिलहाल इन युवाओं के लिए राहत की बात यह है कि परीक्षा के निरस्त होने के आसार कम हैं लेकिन ऐसे में अगर रिजल्ट जारी कर दिया जाता है तो उसमें गलत अभ्युर्थियों के चयनित होने की बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री का कहना है कि परीक्षा रद्द नहीं होगी लेकिन दोषियों को बख्शा भी नहीं जाएगा।
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बेरोजगार युवाओं का गुस्सा सातवें आसमान पर, जगह-जगह हो रहें हैं प्रर्दशन- प्रदेश की सबसे बड़ी परीक्षा में इस तरह की लापरवाही सामने आने से युवाओं का गुस्सा सातवें आसमान पर है और यह जायज भी है क्योंकि आज यह सवाल हर किसी के मन में डोल रहा है कि मोबाइल फोन कक्ष के अंदर गया कैसे? उस सेंटर के सेक्टर मजिस्ट्रेट, परीक्षक क्या कर रहे थे। कुछ प्रतियोगी तो यहां तक भी कह रहे हैं कि परीक्षा सेंटर के गेट पर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की चेकिंग तो छोड़िए उनकी एक साधारण चेकिंग भी नहीं हो रही थी और ना ही उनके प्रवेश पत्र चेक किए जा रहे थे। उनको ऐसा लग रहा था कि जैसे वह पेपर देने नहीं बल्कि किसी पिकनिक स्पॉट पर आए हों जहां कोई भी अपनी इच्छा से अंदर-बाहर जा सकता है। आपको पढ़ने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन यह उसी यूकेएसएसएससी की परीक्षा थी जिसके परीक्षा सेंटरों में युवाओं से बेल्ट भी गेट पर खुलवा ली जाती थी। लेकिन इस बार मोबाइल भी परीक्षा कक्ष तक पहुंच गए। पिथौरागढ़, चम्पावत, बागेश्वर, पौड़ी, चमोली सहित राज्य के लगभग हर जिले में युवाओं के प्रर्दशन जारी है। आयोग अध्यक्ष से लेकर वन मंत्री तक का इस्तीफा मांगा जा रहा है, जो जायज भी है क्योंकि बात युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने की है।
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