लाॅकडाउन के बाद से कई तस्वीरें हमारे सामने आई है जहां एक ओर सड़कों पर पैदल चलते हजारों मजदूर है तो वहीं इस भयंकर महामारी में भी जान की बाजी लगाकर अपना फर्ज निभाते डाक्टर, पुलिस और अति आवशयकीय सेवाओं में कार्यरत कर्मचारी है। इन सभी अधिकारियों, कर्मचारियों को आज पूरा देश सलाम कर रहा है और करें भी क्यों ना… इस महामारी के समय ये सभी उस सैनिक से कम नहीं है जो अपनी जान की बाजी लगाकर दुश्मन को ढेर कर देता है। ये सभी भी कोरोना के खिलाफ जंग में सिपाही बनकर मैदान में खड़े हैं। इन्होंने हमें यह भी सिखाया है कि चाहें कितना भी मुश्किल वक्त क्यों ना हो देश और देशवासियों के प्रति अपना फर्ज तो आखिरी दम तक निभाना पड़ता है। आज हम आपको उत्तराखण्ड पुलिस की एक ऐसी ही महिला कांस्टेबल से रूबरू करा रहे हैं जिसने न सिर्फ देश के प्रति अपने फर्ज को सर्वोपरि रखा बल्कि ऐसे समय में भी वह अपनी ड्यूटी में उपस्थित हुई जब उसके परिवार को उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। जी हां हम बात कर रहे हैं.. राज्य के नैनीताल जिले की रहने वाली चम्पा मेहरा की। सबसे खास बात तो यह है कि यातायात के सार्वजनिक साधन न मिलने पर भी चम्पा ने घर बैठने के बजाय ड्यूटी में पहुंचना जरूरी समझा और 283 किमी की यात्रा अपनी स्कूटी से पूरी कर वह ड्यूटी पर पहुंची।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के नैनीताल जिले के लालकुआं निवासी चम्पा मेहरा उत्तराखण्ड पुलिस में कांस्टेबल है। वर्तमान में उनकी तैनाती देहरादून के एसएसपी कार्यालय के 112 कंट्रोल रूम में है। बता दें कि चम्पा के पिता को काफी समय से डायबिटीज की समस्या है और उनकी दोनों किडनी भी एकदम खराब हो चुकी है। जिस कारण हमेशा ही उनकी दवाई चलते रहती है। बीते दिनों उनकी तबीयत अचानक से इतनी ज्यादा बिगड़ गई कि आनन-फानन में उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। चम्पा को जब यह पता चला कि उसके पिता अस्पताल में भर्ती हैं तो वह छुट्टी लेकर घर आ गई। एक दो दिन तक तो सब सही रहा लेकिन फिर अचानक देश में लाॅकडाउन की घोषणा हो गई। सभी की छुट्टियां भी बढ़ा दी गई लेकिन जैसे ही चम्पा को पता चला कि 112 कंट्रोल रूम में स्टाफ की कमी है तो उसने अपने पिता की गम्भीर हालत के बावजूद उन्हें अस्पताल में छोड़कर ड्यूटी पर जाने का फैसला किया। लाॅकडाउन होने के कारण जब उसे कोई गाड़ी नहीं मिली तो उसने अपनी स्कूटी से ही 283 किमी की यात्रा पूरी की। इस दौरान अपने पूरा सफ़र उसे दो बिस्कुटों की बदौलत पूरा करना पड़ा।
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