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Pankaj Negi self-employment pauri garhwal
फोटो सोशल मीडिया

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पौड़ी गढ़वाल

पौड़ी के पंकज नेगी ने शहर की नौकरी छोड़ मसालों में तलाशा स्वरोजगार, हो रही लाखों की कमाई

Pankaj Negi self-employment pauri garhwal: पंकज ने दिल्ली की एक बड़ी कंपनी की नौकरी छोड़ किया पहाड़ की ओर रूख, मसालों को बनाया स्वरोजगार का जरिया, कारोबार खड़ा कर प्रतिमाह कर रहे 3 लाख की आमदनी….

Pankaj Negi self-employment pauri garhwal उत्तराखंड के युवा रोजगार की तलाश में पहाड़ी क्षेत्रों से बड़े-बड़े शहरों की ओर रुख कर रहे है। वहीं कुछ युवा ऐसे भी है जो अच्छी नौकरियों को छोड़कर स्वरोजगार की राह को अपना रहे हैं‌। आए दिन हम आपको उत्तराखंड के किसी न किसी होनहार युवा से रूबरू कराते हैं जिन्होंने स्वरोजगार की राह को अपना कर अपने साथ साथ अन्य लोगों की बेरोजगारी को भी दूर कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया है। आज फिर हम आपको ऐसे ही और हर युवा से रूबरू कराने जा रहे हैं जी हां हम बात कर रहे हैं पौड़ी गढ़वाल जिले के उरेगी गांव के पंकज नेगी की। जिन्होंने दिल्ली की एक बड़ी कंपनी की नौकरी छोड़कर पौड़ी में स्थानीय उत्पादों और मसालों की फैक्ट्री स्थापित कर अपने साथ साथ अन्य लोगों को भी रोजगार दिया है।
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Pankaj Negi Ever Taste Organic Spices masala बता दें कि पंकज नेगी दिल्ली में 12 वर्षों से नौकरी कर रहे थे, लेकिन उन्हें पहाड़ों से अधिक लगाव था उनका पहाड़ के प्रति प्रेम और लगाव पंकज को अपने गांव की ओर खींच लाया और उन्होंने कंपनी की नौकरी छोड़ गांव में ही मसालों की फैक्ट्री लगा ली। पंकज जख्या, मंडुआ, झंगोरा, हल्दी, मिर्च, धनिया, मेथी जैसे स्थानीय उत्पादों और मसालों को ग्रामीणों से खरीदकर उनकी अच्छी पैकिंग कर “एवर टेस्ट” नाम से बाजार में बेचते हैं। पंकज का कहना है कि उन्होंने धीरे-धीरे बाजार एवं स्थानीय दुकानों में मसालों को बेचना शुरू किया लोगों को उनके मसालों का स्वाद एवं गुणवत्ता काफी पसंद आई जिसके बाद बाजार में उनके मसालों की मांग बढ़ने लगी । बताते चलें कि पंकज ने वर्तमान में 3 से 4 लोगों को रोजगार दिया है जिन्हें पंकज घर बैठे 20 हजार रुपए तनख्वाह उपलब्ध करा रहे हैं। पुरुषों के साथ ही कई महिलाएं भी उनके इस रोजगार में वेंडर के तौर पर जुड़ी है। पंकज नेगी का कहना है कि एक माह में उनका 3 लाख रुपए तक का व्यापार होता हैं जिसमें से उन्हें लगभग 80 हजार रुपये की बचत होती है।

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Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

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