Pantnagar University student suicide : बीटेक के छात्र ने की आत्महत्या, परिजनो मे मचा कोहराम, सुसाइड नोट बरामद…
Pantnagar University BTech student Neeraj suicide from kichha – Uttarakhand News Hindi : उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले से एक दुखद खबर सामने आ रही है जहां पर B.Tech प्रथम वर्ष के छात्र ने फंदे पर लटक कर अपनी जान दी है। घटना के बाद से मृतक के परिजनो मे कोहराम मचा हुआ है वहीं उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। बताते चले छात्र के पास से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है जिसमें आत्महत्या से संबंधित कारणों का जिक्र किया गया है।
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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार मूल रूप से उधम सिंह नगर जिले के किच्छा के दरऊ का निवासी 19 वर्षीय नीरज पुत्र छोटे लाल पंतनगर यूनिवर्सिटी में बीटेक इलेक्ट्रिकल प्रथम वर्ष का छात्र था। दरअसल नीरज यूनिवर्सिटी में विपिन सिंह रावत छात्रावास के कमरा नंबर 75 में रह रहा था। इतना ही नहीं बल्कि नीरज के साथ कमरे में अन्य दो साथी भी रह रहे थे। सभी छात्र बीते 20 अगस्त को विश्वविद्यालय खुलने पर छात्रावास पहुंचे थे। वहीं बीते शुक्रवार की सुबह लगभग 9:30 बजे सभी छात्र अपनी अपनी कक्षाओं में चले गए , जबकि नीरज साथियों से पढ़ने का मन नहीं कह कर कमरे मे ही रुक गया।
नीरज ने अंग्रेज़ी ना आने के कारण मौत को लगाया गले
लगभग दोपहर 1:30 बजे जब सभी छात्र लंच के लिए छात्रावास पहुंचे तो नीरज के साथी उसे बुलाने कमरे में पहुंचे लेकिन दरवाजा अंदर से बंद पड़ा था। नीरज के दोनों साथियों ने उसे काफी बार फोन किया यहां तक की दरवाजा भी जोर-जोर से खटखटाया लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद उन्होंने इसकी सूचना तुरंत छात्रावास के कर्मचारियों को दी। कर्मचारियों की उपस्थिति व पुलिस अधिकारियों की सहायता से दरवाजे को तोड़ा गया। दरवाजे के टूटते ही सभी के होश उड़ गए क्योंकि नीरज का शव फंदे से लटका हुआ था। पुलिस प्रशासन द्वारा इस मामले की जानकारी मृतक के परिजनों को दे दी गई। इसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
नीरज के आत्महत्या का कारण आया सामने, सुसाइड नोट बरामद
मरने से पहले नीरज ने सुसाइड नोट लिखा था ,जिसमें इस बात का जिक्र था कि मध्यम वर्गीय परिवार में जन्म लेने के बाद अभी तक की पढ़ाई उसने हिंदी मीडियम से की है जिसकी अंग्रेजी भाषा पर कमांड नही है। इतना ही नहीं बल्कि विश्वविद्यालय में बीटेक में एडमिशन मिलने के बाद कक्षाएं अधिकतर अंग्रेजी भाषा में ही संचालित हो रही थी। जिसके कारण नीरज को कुछ समझ नहीं आ रहा था और वह काफी निराशा चल रहा था।
नीरज के परिजन समझ पाते नीरज बात तो शायद नही बिगड़ते हालात
2 दिन पहले ही नीरज के परिजनों ने विश्वविद्यालय में पहुंचकर एडवाइजर डॉक्टर अलकनंदा अशोक और विभाग अध्यक्ष डॉक्टर एके स्वामी से मिलकर उसकी काउंसलिंग की थी। लेकिन बार-बार नीरज पढ़ाई छोड़कर घर आने की जिद करता रहा। हालांकि परिजनों ने उसकी नहीं सुनी जिसके कारण नीरज ने दुनिया को छोड़कर जाने का फैसला लिया। यदि नीरज के परिजन उसकी बात को समझ पाते तो आज शायद उन्हें अपना बेटा नहीं खोना पड़ता।
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