उथींड गांव निवासी अविनाश सेमवाल (Avinash Semwal) बने भारतीय नौसेना (Indian Navy) में सब लेफ्टिनेंट, पहाड़ में दौड़ी खुशी की लहर..
देवभूमि उत्तराखंड के होनहार एवं प्रतिभावान वाशिंदों ने कड़ी मेहनत से ऊंचे-ऊंचे मुकाम हासिल कर कई बार प्रदेश को गौरवान्वित किया है। कभी देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का जलवा दिखाकर तो कभी अपने प्रतिद्वंद्वियों को पटखनी देकर, इतना ही नहीं देश की सेना में तैनात राज्य के वाशिंदे समय-समय पर बार्डर पर भी अपनी वीरता, बहादुरी, पराक्रम और साहस का प्रदर्शन करते रहे हैं। बात अगर देश की सेनाओं की करें तो आज यह सर्वविदित है कि राज्य के युवा सेना में जाकर देशसेवा करने को किस तरह लालायित रहते हैं। आज फिर राज्य के एक होनहार युवा ने भारतीय नौसेना में अफसर बनकर अपने बचपन के सपनों को साकार किया है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के रूद्रप्रयाग जिले के उथींड गांव निवासी अविनाश सेमवाल(Avinash Semwal) की, जो भारतीय जल सेना (Indian Navy) में सब लेफ्टिनेंट बन गए हैं। अविनाश की अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि अविनाश ने न केवल अपने गांव, क्षेत्र और जिले का नाम रोशन किया है वहीं समूचे उत्तराखण्ड का मान भी बढ़ाया है।
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2016 में एनडीए में चयनित हुए थे अविनाश, चार साल के कठिन प्रशिक्षण के बाद बीते 28 दिसंबर को हुए पासआउट:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के रूद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ विकासखंड के ग्राम सभा उथींड निवासी अविनाश सेमवाल भारतीय जल सेना में सब लेफ्टिनेंट बन गए हैं। बता दें कि बचपन से ही मेधावी छात्र रहे अविनाश ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर गुप्तकाशी से प्राप्त की। तत्पश्चात उन्होंने केंद्रीय विद्यालय अगस्त्यमुनि से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी की। 2015 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात अविनाश एनडीए की तैयारियों में जुट गए। कड़ी मेहनत से 2016 में एनडीए में चयनित होकर उन्होंने 2017 में आईएनएस (इंडियन नेवल एकेडमी) केरल में प्रवेश लिया। जहां चार वर्ष के कठिन प्रशिक्षण के पश्चात अविनाश बीते 28 दिसंबर 2020 को आयोजित हुई पासिंग आउट परेड में शामिल हुए और अंतिम पगबाधा को पार कर नेवी में सब लेफ्टिनेंट बन गए। बेटे की उपलब्धि से खुश अविनाश के माता मीना देवी तथा पिता भगवती प्रसाद सेमवाल का कहना है कि अविनाश ने उन्हें एक नई पहचान दी है। उनका कहना है कि अविनाश की तमन्ना बचपन से ही सेना में अफसर बनकर देशसेवा करने की थी।
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