Old tehri History: डैम बनने से पहले इसी स्थान पर स्थित था पुरानी टिहरी शहर, जो राजशाही के दौर में रहा था कभी सियासत का केंद्र…
उत्तराखंड के टिहरी में स्थित टिहरी डैम से आज हर कोई वाकिफ है। यह वही बांध है जो विश्व में टॉप 5 जगहों में अपना स्थान लिए हुए है। साथ ही विश्व भर में सिंचाई की पानी उपलब्ध कराने और बिजली उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। इस बांध से बनी झील सुंदरता का कायल तो आज हर कोई होगा। पर शायद बहुत ही कम लोग इस बात को जानते होंगे कि जिस जगह पर आज टिहरी बांध बना हुआ है और जिस जगह पर इस बांध के पानी इकट्ठे होने से झील का निर्माण हुआ है, वह क्षेत्र कभी टिहरी के राजाओं की सियासत, राजधानी एवं टिहरी के लोगों की धड़कन हुआ करती थी। इस जगह पर कभी उत्तराखंड का एक ऐसा शहर हुआ करता था जो लोगों के नजरों में स्वर्ग था। हम बात कर रहे हैं पुराने टिहरी की।
(Old tehri History)
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वही टिहरी जो देशहित और जनहित के लिए साल 2005 में टिहरी डैम से बनी झील में समा गई थी। आज जिस जगह पर लोग घूमने जाते हैं और टिहरी डैम की खूबसूरती की और कलाकारी की तारीफ करते हैं, कभी वह जगह टिहरी के लोगों का गुमान और शान हुआ करता था। टिहरी को राजा सुदर्शन साह ने 28 दिसंबर 1915 में बसाया था। यह राजा सुदर्शन शाह की राजधानी भी थी। पुरानी टिहरी उस समय गढ़वाल क्षेत्र का केंद्र बिंदु हुआ करता था। राजा सुदर्शन ने टिहरी को तीन नदियों के भागीरथी, भिलंगना और घृत गंगा के संगम पर बसाया था। क्षेत्रीय लोग बताते हैं कि पुरानी टिहरी स्वर्ग से भी सुंदर हुआ करती थी। पुरानी टिहरी उत्तराखंड का एक ऐसा शहर था जिसने देश हित के लिए बलिदान दिया था और यह अपने साथ टिहरी के लोगों की कई यादे साथ लेके झील में डूबा गया था।
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जिस जगह टिहरी डैम और झील बनी हुई है इस जगह पर कभी राजा का राज महल, रानी का महल, प्रसिद्ध ऐतिहासिक घंटाघर, कौशल दीवार,प्रसिद्ध आम का बागवान,एक खूबसूरत शहर और सैकड़ों गांव और लोगों के खेत खलियान हुआ करते थे। साल 1965 में तत्कालीन केंद्रीय एवं सिंचाई मंत्री केएल राव ने टिहरी में भिलंगना और भागीरथी नदी पर बांध बनाने की घोषणा की थी। तमाम उलझनों और कानूनी लड़ाई के बाद साल 29 जुलाई 2005 को टिहरी शहर में पानी घुसने लगा। जिसके बाद 100 से अधिक गांवों और उनमें रहने वाले परिवारों को शहर छोड़ना पड़ा और 31 जुलाई 2005 जिसे टिहरी के लोग अपने लिए काला दिन भी मानते हैं। इस दिन पुरानी टिहरी झील में समा गई जिसके बाद हजारों लोग बेघर हो गए। उन बेघर लोगों को नई टिहरी, हरिद्वार, ऋषिकेश आदि जगहों पर बसाया गया।
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टिहरी शहर डूब तो गया मगर अपनी चमचमाती सुंदर झील के कारण विश्व में अपनी ख्याति प्राप्त की है। और वर्तमान में आज भले ही यह बांध कई घरों को रोशन कर रहा हो मगर कभी यह बांध टिहरी के लोगों की तमाम रिश्ते–नाते, तमाम खुशियां और कई यादों के साथ उनके खेत खलियान उनके देवी-देवताओं के थान एवं उनके तमाम रिश्ते और टिहरी से जुड़ी तमाम यादों को ले गया। भले ही समय के साथ टिहरी के लोग भी आगे बढ़ गए परन्तु कभी उनके पूर्वजों ने इस डैम के निर्माण को रोकने के लिए कई दिनों तक खाना तक नहीं खाया था और हर देवता के द्वार पर हाथ तक जोड़े थे कि ये डैम ना बने। आज भी टिहरी के लोग 200 वर्ष पूर्व में बसे और 18 साल पहले डूबे अपने इस टिहरी शहर को याद करके रोते हैं। उनकी पीड़ा को इस समय महसूस किया जा सकता है जब वो आज भी टिहरी डूबने के नाम सुनकर भावुक हो जाते हैं। आज भी टिहरी के लोग अपनी पुरानी टिहरी की एक झलक पाने के लिए तरसते हैं। वह कहते हैं कि टिहरी उनके दिलों में हमेशा धड़कता रहेगा और टिहरी ने देशहित और जनहित के लिए जल समाधि ली है इस बात का उन्हें गर्व भी रहेगा। भले आज पुरानी टिहरी की जगह नई टिहरी तो बस गया पर लोगों के दिलों में जो छाप पुरानी टिहरी ने छोड़ी थी। वह शायद ही कोई और छोड़ पाएगा। तो यह थी टिहरी डैम में जलमग्न टिहरी के लोगों की कुछ भूली बिसरी यादें। जिसकी स्मृति आज उनके दिलों में है और जिसे वह आज भी कई बार याद करते हैं और भावुक हो जाते हैं।(Old tehri History)