Uttarakhand VDO Result 2023: महज एक वर्ष की उम्र में उठ गया था सुनील के सिर से पिता का साया, परिवार की विषम परिस्थितियों से जूझते हुए कड़ी मेहनत के दम पर हासिल किया मुकाम…
‘मेहनत की जड़ें कड़वी जरूर होती है लेकिन फल मीठा होता है’ यह कहना है अपनी कड़ी मेहनत और लगन के बलबूते सफलता का ऊंचा मुकाम हासिल करने वाले राज्य के उस युवा अभ्यर्थी का जिनके सिर से पिता का साया बचपन में ही उठ गया था। जी हां… हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के चम्पावत जिले के दूरस्थ खटोली तल्ली गांव निवासी सुनील सिंह बुराठी की, जिन्होंने परिवार की विषम परिस्थितियों के बावजूद अनेक राज्य एवं केन्द्र स्तरीय परीक्षाओं में सफलता अर्जित की है। बता दें कि अब तक आठ परीक्षाएं उत्तीर्ण कर चुके सुनील का पटवारी/लेखपाल एवं स्नातक स्तरीय परीक्षा (विडिओ/ विपिडिओ आदि) में अंतिम चयन हो चुका है। पटवारी लेखपाल भर्ती परीक्षा के परिणामों में जहां उन्होंने चम्पावत जिले में नंबर वन की रैंक प्राप्त कर जिला टापर बनने का मुकाम हासिल किया है वहीं स्नातक स्तरीय परीक्षा में उन्हें 142वीं रैंक हासिल हुई है। सुनील की इन अभूतपूर्व उपलब्धियों से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता भी लगा हुआ है।
(Uttarakhand VDO Result 2023)
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देवभूमि दर्शन से खास बातचीत:-
देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में सुनील ने बताया कि वह अब तक उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग एवं उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित फारेस्ट गार्ड, कनिष्ठ सहायक, पटवारी/लेखपाल, स्नातक स्तरीय (विडिओ/विपिडिओ आदि), लोअर पीसीएस प्रारंभिक, अपर पीसीएस प्रारंभिक, एफआरओ प्रारम्भिक परीक्षाएं उत्तीर्ण कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त एसएससी सीजीएल 2022 की प्रारंभिक परीक्षा भी उन्होंने उत्तीर्ण की है। सुनील बताते हैं कि जब वह महज 1 वर्ष के थे तो उनके पिता जोत सिंह बुराठी का निधन हो गया था। जिसके बाद उनकी मां पार्वती देवी ने ही उनका लालन-पालन एवं भरण पोषण किया। खेती किसानी कर उन्हें पढ़ाया लिखाया और सुनील ने भी मां के इस कठिनतम संघर्ष को जाया नहीं जाने दिया एवं अपनी कड़ी मेहनत और लगन के बलबूते सरकारी नौकरी हासिल की।
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सुनील ने बताया कि उन्होंने हाईस्कूल तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से करने के उपरांत चम्पावत से इंटरमीडिएट तथा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय लोहाघाट से बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की। बीएससी की पढ़ाई के साथ ही उन्होंने सेना भर्ती की तैयारी जारी रखी। इसी का परिणाम था कि वह लगातार 11 बार सेना भर्ती की शारीरिक दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण करने में सफल रहे हालांकि हर बार मेडिकल परीक्षा में उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा परन्तु इसके बावजूद भी उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी। इसके लिए लाकडाउन के बाद उन्होंने छः माह देहरादून जाकर कोचिंग ली तदोपरांत घर आकर उन्होंने सेल्फ स्टडी करने का फैसला किया और कड़ी मेहनत और लगन के बलबूते यह मुकाम हासिल किया। अपनी इन अभूतपूर्व सफलताओं का श्रेय अपनी मां एवं भाइयों को देने वाले सुनील राज्य के अन्य युवाओं को संदेश देते हुए कहते हैं कि एक बार असफल हो जाने पर हार नहीं माननी चाहिए, कई असफलताओं के बाद आज 4 नौकरियां उनके हाथ में है और उनकी यह कोशिश आगे भी जारी रहेगी।
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