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Tarun Belwal of almora became assistant professor in the university of European Country estonia

अल्मोड़ा

उत्तराखंड: कुंजन गांव के तरुण बने यूरोपीय देश एस्टोनिया के विश्वविद्यालय में असिस्टेंस प्रोफेसर

गौरवान्वित हुआ उत्तराखंड, द्वाराहाट के तरुण बेलवाल(Tarun Belwal) बने यूरोपीय देश एस्टोनिया(Estonia) के विश्वविद्यालय(University) में असिस्टेंस प्रोफेसर, कुमाऊं विश्वविद्यालय में कर चुके हैं शोध कार्य..

उत्तराखण्ड के वाशिंदों ने अपनी प्रतिभा के दम पर देश विदेश में राज्य का मान बढ़ाया है। आए दिन हमें राज्य के वाशिंदों की सफलता की ऐसी खबरें सुनने को मिलती हैं जिनसे समूचा उत्तराखण्ड गौरवान्वित होता है। आज हम आपको राज्य की एक और ऐसी ही प्रतिभावान हस्ती से रूबरू करा रहे हैं जो यूरोपीय देश में असिस्टेंट प्रोफेसर बनें है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के अल्मोड़ा जिले के रहने वाले तरूण बेलवाल (Tarun Belwal) की, जिनका चयन यूरोपीय देश एस्टोनिया (Estonia) के एक विश्वविद्यालय (University) में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में हुआ है। बता दें कि कुमाऊं यूनिवर्सिटी के मेधावी छात्र रह चुके बेलवाल अब विश्वविद्यालय में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर लाइफ साइंस विषय पढ़ाते हुए नजर आएंगे। इस दौरान वह छात्रों को खाद्य पदार्थों के अपशिष्ट मूल्यस्थिरीकरण रसायन का ज्ञान देंगे। बेलवाल की इस उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं उनके पैतृक गांव सहित पूरे अल्मोड़ा जनपद में हर्षोल्लास का माहौल है।
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तरूण बेलवाल रह चुके हैं कुमाऊं यूनिवर्सिटी के मेधावी छात्र, 2016-17 में हुए थे राज्यपाल सम्मान से सम्मानित:-

प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट ब्लॉक के कुंजर गांव निवासी तरूण बेलवाल का चयन यूरोपीय देश एस्टोनिया के एक विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में हुआ है। बता दें कि तरूण का परिवार वर्तमान में अल्मोड़ा नगर के पांडेखोला में रहता है। कुमाऊं विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विषय के शोधार्थी रहें तरूण बेलवाल के पिता नवीन चंद्र बेलवाल विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (वीपीकेएएस) अल्मोड़ा से सेवानिवृत्त वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी हैं जबकि उनकी माता निर्मला बेलवाल एक कुशल गृहिणी हैं। बताते चलें कि वर्ष 2016-17 में राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित हो चुके तरूण ने गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल से बायोटेक्नोलाजी में अपना शोधकार्य पूर्ण किया। तत्पश्चात पोस्ट डाक्टरल साइंस फाउंडेशन चीन से रिसर्च ग्रांट करने के बाद उन्होंने वर्तमान में जेहजियांग विश्वविद्यालय चीन से पोस्टडाक्टरेयल शोध पूरा कर लिया है।

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