अजब गजब! सेब तो उत्तराखंड का और हिमाचल के नाम की हो रही ब्रांडिंग
Uttarakhand Apple: उत्तराखंड में उद्यान विभाग द्वारा समय पर पेंटिया ना मिलने पर हिमाचल प्रदेश की पेटियों में रखकर मंडे भेजे गए सेब
सेब उत्पादन के क्षेत्र में उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है। इसके बावजूद भी उत्तराखंड के सेबो को बाजार में नाम कथा अपनी पहचान नहीं मिल पाई है। हालात ऐसे हैं कि सेब तो उत्तराखंड का है लेकिन उस पर ब्रांडिंग पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश की की जा रही है। बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लॉक के पर्यटन गांव रैथल से सेब की फसल की पहली लदान उद्यान विभाग द्वारा समय पर पेटियां ना मिल पाने के कारण हिमाचल प्रदेश की पेटियों में रखकर मंडी में भेजी गईं। बताते चलें कि उत्तराखंड में सबसे अधिक सेब का उत्पादन उत्तरकाशी जिले में होता है। यहां लगभग 21 से 22 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन किया जाता है। देश में सेब की खेती पहले नंबर पर जम्मू कश्मीर दूसरे नंबर पर हिमाचल प्रदेश तथा तीसरे नंबर पर उत्तराखंड मे की जाती है।(Uttarakhand Apple)
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लेकिन उत्तराखंड में सेब की ब्रांडिंग पर गौर नहीं किया जाता जिस कारण उत्तराखंड के सेबो को उत्पादन के क्षेत्र में नाम तथा पहचान नहीं मिल पा रही है। उत्तराखंड में सेब उत्पादन करने वाले उत्पादकों को उद्यान विभाग के द्वारा सही समय पर पेटियां उपलब्ध न कराने के कारण उन्हें सेबो को अन्य पड़ोसी राज्य की पेटियो में मंडी में भेजना पड़ता है। अभी ताजा मामला उत्तरकाशी जिले के सीमांत ब्लाक भटवाड़ी के पर्यटन ग्राम रैथल का सामने आ रहा है। जहां सेब काश्तकार मोहन कुशवाल द्वारा उद्यान विभाग से दो-तीन बार सेब की पेटियां मांगी गई लेकिन पेटियां ना मिलने के कारण उन्होंने हिमाचल प्रदेश के किन्नौर लेबल की पेटियों में सेब की अर्ली वैराइटी किंगरोट और गाला प्रजाति की तैयार फसल को मंडी भेजा। उनका कहना है कि यदि उत्तराखंड के लेबल की पेटियां होतीं तो राज्य के साथ ही क्षेत्र का भी प्रचार-प्रसार होता।