Connect with us
उतराखण्ड: पहाड़ में वंदना बना रहीं हैं पिरूल की राखी, लोग भी कर रहे हैं डिमांड

UTTARAKHAND SELF EMPLOYMENT

अल्मोड़ा

उत्तराखण्ड

उतराखण्ड: पहाड़ में वंदना बना रहीं हैं पिरूल की राखी, लोग भी कर रहे हैं डिमांड

स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए पहाड़ में चल रहे हैं क‌ई कार्यक्रम, ऐपण के साथ-साथ पिरूल और घिंघारू से भी इको-फ्रेंडली राखी बना रहे हैं युवा और महिलाएं..

पहाड़ो में व्यर्थ समझी जाने वाली चीड़ के पेड़ की पत्ती (पिरूल) अब लोगों की आय का जरिया बनेगी। जी हाँ रक्षाबंधन नजदीक है और इसके लिए उतराखण्ड में कुछ युवा जहां ऐपण की राखी बना रहे। वहीं पहाड़ की कुछ महिलाएं अब पिरूल की राखी बना कर एक नई मिसाल पेश की हैं। वास्तव में इस बार का रक्षाबंधन अब तक के रक्षाबंधन से बिल्कुल अलग है। जहां इस बार बाजार से चीनी राखियां गायब है वहीं बाजार में ईको फ्रेंडली राखियां छाई हुई है। प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर राज्य के युवा, महिलाएं पहाड़ की विलुप्त होती लोककला ऐपण से राखियां तो बना ही रही है साथ ही व्यर्थ समझे जाने वाले पिरूल और घिंघारू का सदुपयोग कर सुंदर राखियां भी बना रही है। राज्य के अल्मोड़ा जिले के विकास खंड हवालबाग के ज्योली सीलिंग पंचायत के खड़कुना गांव में तो महिलाओं ने पिरूल से राखी (Pirul rakhi) बनाना शुरू भी कर दिया है। खडकुना गांव में यह मुहिम जी.बी पंत राष्ट्रीय विकास संस्थान की ओर से चलाई जा रही है जिसके अंतर्गत पिरूल और अन्य बेकार पड़ी चीजों को उपयोग में लाकर आजीविका संवर्धन के न‌ए न‌ए तरीके इजाद किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं संस्थान की ओर से महिलाओं को इसका प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। संस्थान के केंद्र प्रभारी डॉ. जी.सी.एस. नेगी ने का कहना है कि इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्देश्य आजीविका में वृद्धि करना है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड : इस रक्षाबंधन पर भाई – बहनों के कलाइयों पर मीनाक्षी की ऐपण राखियाँ बढ़ाएगी शोभा

नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली वंदना कार्की ने भी पिरूल और घिंघारू से बनाई सुंदर इको-फ्रेंडली राखियां, पेश किया अपनी रचनात्मकता का उदाहरण:- बता दें कि राज्य के अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी विकासखंड में स्थित राजकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय चमुवां में पढ़ने वाली वंदना कार्की इन दिनों पिरूल और घिंघारू से सुंदर इको-फ्रेंडली राखियां (Pirul rakhi) बना रही है। बता दें कि वंदना नौवीं कक्षा की छात्रा है। इन दिनों विद्यालय बंद होने के कारण वंदना अपने समय का सदुपयोग करते हुए कुछ नया करने की कोशिश कर रही है। यह उनकी रचनात्मकता का ही परिणाम है कि वंदना को यह नेक उपाय सूझा और उन्होंने इको-फ्रेंडली राखी बनाने की ठान ली। वंदना कहती हैं कि उन्हें इसकी प्रेरणा अपनी शिक्षिका प्रेमा गडकोटी से मिली। जो हर छुट्टियों में उन्हें कुछ नया करने को प्रोत्साहित करती है। वंदना बताती है कि अपनी शिक्षिका के मार्गदर्शन में उन्होंने बहुत से रचनात्मक कार्य किए हैं, वेस्ट से बेस्ट बनाना भी उन्हें मैडम ने ही सिखाया है। वंदना का लक्ष्य अब अपने गांव के साथ-साथ आस-पास के इलाकों में इस इको-फ्रेंडली राखी को पहुंचाने का है ताकि क्षेत्र की हर बहन अपने भाई को इको-फ्रेंडली राखियां पहनाएं। क्षेत्रवासियों ने वंदना के इस कार्य की जमकर सराहना की है। सबसे खास बात तो यह है कि वंदना की शिक्षिका प्रेमा ने खुद उनके द्वारा बनाई गई राखियों को सोशल मीडिया के माध्यम से साझा किया है।

रचनात्मकता किसी सुविधा असुविधाकी मोहताज नहीं होती।
मेरी शिष्या वन्दना कार्की (रा उ मा वि चमुवां)ने ऐसी ही रचनात्मक दिखाई…

Posted by Prema Garkoti on Tuesday, 28 July 2020

यह भी पढ़ें- पहाड़ो में चीड़ की पत्ती( पिरूल) बनेगा रोजगार का साधन बचेंगे आग से पहाड़ो के जंगल रुकेगा पलायन

Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

More in UTTARAKHAND SELF EMPLOYMENT

deneme bonusu casino siteleri deneme bonusu veren siteler deneme bonusu veren siteler casino slot siteleri bahis siteleri casino siteleri bahis siteleri canlı bahis siteleri grandpashabet
To Top