Uttarakhand: जसवीर ने मंडुवे (Maduwa) के उपयोग से बनाए पिज्जा बर्गर जैसे फास्ट फूड, कैफे खोलकर बढ़ाया स्वरोजगार (Self employment) की ओर कदम..
आत्मनिर्भर भारत, देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक ऐसा सपना जो न केवल युवाओं को स्वरोजगार की ओर प्रेरित करता है बल्कि नौकरी पर उनकी निर्भरता को भी कम करता है। हालांकि स्वरोजगार का सफर इतना भी आसान नहीं है, इसमें सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है परन्तु यह बात भी शत प्रतिशत सच है कि कुछ कर गुजरने का जूनून हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। आज हम आपको राज्य (Uttarakhand) के एक और ऐसे ही होनहार युवा से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी नवीनतम सोच और लगन के बलबूते स्वरोजगार की दिशा में एक नया मुकाम हासिल किया है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के मूल रूप से उत्तरकाशी जिले के रहने वाले जसवीर सिंह असवाल की, जिन्होंने मैदे से बनने वाले पिज्जा, बर्गर को सेहतमंद बनाकर अपने लिए न सिर्फ स्वरोजगार की नई राह चुनी है बल्कि उनके कैफे में मंडुवे (Maduwa) से बने ये सभी उत्पाद लोगों को भी खासे पसंद आ रहे हैं। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह अपने इस स्वरोजगार (Self employment) के जरिए प्रतिमाह 90 हजार रुपये की अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: लोहाघाट के नवीन ने सब्जी उत्पादन को बनाया स्वरोजगार अब एक लाख तक कमा रहे
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के उत्तरकाशी जिले के डुंडा विकासखंड के न्यू गांव निवासी जसवीर सिंह असवाल ने 2018 में स्वरोजगार की राह चुनकर एक कैफे की शुरूआत की थी। बता दें कि दून के डीएवी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई करने वाले जसवीर ने कॉलेज के साथ-साथ दून में ही 30 से 40 रेस्टोरेंट व होटलों में वेटर का काम भी किया। इतना ही नहीं मौका मिलने पर बेकरी आदि का काम सीखा। इसी दौरान जब वह एमएससी की पढ़ाई कर रहे थे तो उन्होंने खुद का व्यवसाय करने की सोची। काफी सोच विचार करने के बाद उन्होंने एक कैफे खोलने का निर्णय लिया परन्तु आर्थिक रूप से सक्षम ना होने के कारण पैसे की कमी इसके आड़े आ गई। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और जिले के तत्कालीन डीएम आशीष चौहान की मदद से बैंक से आठ लाख रुपये ऋण लेकर उन्होंने कैफे शुरू किया। सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने आमतौर पर पिज्जा बर्गर आदि में उपयोग किए जाने वाले मैदे की जगह सेहतमंद एवं पौष्टिक मंडुवे का उपयोग करने की सोची। इसके बाद उन्होंने अपने कैफे में मंडुवे से ही सभी प्रकार के फास्ट फूड तैयार किए। अपने कैफे में उन्होंने सात स्थानीय लोगों को भी रोजगार दिया है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: स्वरोजगार को दिया बढ़ावा ज्योति ने नौकरी छोड़ पहाड़ में शुरू किया बेकरी व्यवसाय