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Uttarakhand News: naveen bohra started self employment producing vegetable in his polyhouse

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उत्तराखंड: लोहाघाट के नवीन ने सब्जी उत्पादन को बनाया स्वरोजगार अब एक लाख तक कमा रहे

Uttarakhand: नवीन ने वैज्ञानिक तरीके से जैविक खेती को बनाया स्वरोजगार (Self employment) का जरिया, अब सब्जी उत्पादन से हर सीजन में हो रही 80 हजार से एक लाख तक की कमाई..

राज्य के वाशिंदे अब अपनी मेहनत और लगन से पहाड़ में रहकर ही अपना भविष्य संवारने में जुटे हैं। यहां रहकर वह न केवल उत्तराखण्ड (Uttarakhand) को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं बल्कि स्वरोजगार (Self employment) कर अपनी आर्थिकी भी मजबूत कर रहे हैं।‌ आज हम आपको पहाड़ के एक ऐसे ही युवा काश्तकार से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसके कठिन परिश्रम और वैज्ञानिक तरीके से की गई जैविक खेती से पहाड़ की माटी भी सोना उगलने लगी है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह पॉलीहाउस में बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन कर प्रत्येक सीजन में अस्सी हजार से एक लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के चंपावत जिले के रहने वाले नवीन सिंह बोहरा की, जिन्होंने पहाड़ में घाटे का सौदा समझी जाने वाली खेती में सफलता अर्जित की है। अपनी इस सफलता के दम पर ही वह क्षेत्र के अन्य युवाओं को सब्जी उत्पादन के लिए प्रेरित कर रहे हैं। सबसे खास बात तो यह है कि नवीन ने कही से भी सब्जी उत्पादन का प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है वरन दूरदर्शन पर आने वाले किसान चैनल को देखकर ही सब्जी उत्पादन के वैज्ञानिक तरीके सीखे हैं।
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वर्तमान में भी नवीन ने तैयार किए हैं शिमला मिर्च के 60 हजार पौधे:-

प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के चम्पावत जिले के लोहाघाट ब्लाक के मौड़ा गांव निवासी नवीन सिंह बोहरा एक युवा काश्तकार है। वर्तमान में वह अपनी पांच नाली भूमि में तीन पॉलीहाउसों की मदद से टमाटर, गोभी, मटर, शिमला मिर्च, लौकी, करेला, तोर‌ई आदि की जैविक खेती कर न केवल अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं बल्कि पॉलीहाउस में ही शिमला मिर्च, बैगन, गोभी, प्याज के पौधे तैयार कर उन्हें भी बेच रहे हैं। वर्तमान में भी उन्होंने 60 हजार शिमला मिर्च के पौधे तैयार किए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने अपने खेतों में संतरा, आम और लीची के दो सौ पौधे भी लगाए हैं, जो भविष्य में उनकी कमाई का बड़ा जरिया बनेंगे। बता दें कि वर्ष 2010 से खेती में हाथ आजमाने वाले नवीन कहते हैं कि टमाटर की खेती तैयार होने से पहले वे उसी खेत में मटर की बुआई कर देते हैं। जिससे एक ही खेत में एक साथ दो फसलें आसानी से तैयार हो जाती हैं। खेती में नवीन की सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोहाघाट बाजार में सबसे पहले उन्हीं की सब्जियां आती है, जिससे उन्हें बाजार में इनका अच्छा खासा भाव मिल जाता है।

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