गौरवान्वित हुआ उत्तराखंड, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) बेंगलुरु (IISC Bangalore) में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुआ डॉक्टर राजेश का चयन…
राज्य के होनहार वाशिंदों ने आज हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। बात अगर केवल शिक्षा के क्षेत्र की करें तो शिक्षा जगत में देवभूमि उत्तराखंड के वाशिंदे देश-विदेश के कई नामी-गिरामी एवं प्रतिष्ठित कालेजों में अध्यापन का कार्य कर रहे हैं। इन कॉलेजों में कोई प्रोफेसर के पद पर तैनात हैं तो किसी ने कॉलेज की कमान संभाली है। आज हम आपको राज्य के एक और ऐसे ही होनहार युवा से रूबरू कराने जा रहे हैं जिनका चयन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) बेंगलुरु में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुआ है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के अल्मोड़ा जिले के हीराडुंगरी निवासी डॉ. राजेश चौंसाली की, जो अब आईआईएससी बेंगलुरु (IISC Bangalore) में छात्र-छात्राओं को पढ़ाते हुए नजर आएंगे। राजेश की इस अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं पूरे क्षेत्र में भी खुशी की लहर है। राजेश ने अपनी इस अभूतपूर्व सफलता का श्रेय अपनी मेहनत, परिवारजनों के साथ ही गुरुजनों को दिया है।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के पिथौरागढ़ जिले के कांडा गांव निवासी डॉ. राजेश चौंसाली का परिवार बीते कई वर्षों से अल्मोड़ा के हीराडुंगरी में रह रहा है। बात दें कि वर्ष 2004 में विवेकानंद इंटर कॉलेज से हाईस्कूल की परीक्षा 81.5 फीसदी और 2006 में राजकीय इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा 82 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण करने वाले राजेश का चयन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) बेंगलुरु में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हो गया है। सबसे खास बात तो यह है कि राजेश का चयन इससे पूर्व आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी मद्रास में भी असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हो चुका है। इंटरमीडिएट के बाद आईआईटी मद्रास से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक की डिग्री प्राप्त करने वाले राजेश ने इसके उपरांत यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन (सिआटल, अमेरिका) से पीएचडी भी की है। वर्तमान में वह बीते दो वर्षों से फ्रांस के सीएनआरएस में पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च कर रहे हैं। उनके पिता डॉ. कृष्णानंद चौंसाली गांधी इंटर कॉलेज पनुवानौला से सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य हैं जबकि उनकी माता देवकी चौंसाली एक कुशल गृहिणी हैं।
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