Uttarakhand self employment: स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाकर युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने सुनील, बेकरी से चला रहे अपनी आजीविका, कर रहे परिवार का भरण-पोषण…
इस वक्त उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों की ओर से एक दूसरे पर टीका-टिप्पणी का दौर जारी है। चुनावी माहौल में यदि राजनैतिक दलों को जनता को लुभाने के लिए जिस विषय पर सर्वाधिक बात हो रही है वह राज्य के दो सबसे बड़े दंश पलायन और बेरोज़गारी हैं। बात अगर बेरोजगारी की करें तो इसके आंकड़े आज किसी से छुपे नहीं है। हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य का हर दसवां वोटर बेरोज़गारी का दंश झेल रहा है। खासतौर पर कोरोना महामारी के बाद इसमें बेतहाशा वृद्धि देखने को मिली है। ऐसे में जहां एक ओर राज्य के युवा नौकरी की तलाश में इधर-उधर हाथ-पैर मारने को मजबूर हैं तो वहीं कुछ होनहार युवा ऐसे भी हैं जो अपने बलबूते ही कुछ करने का हुनर रखते हैं। ऐसे युवाओं ने स्वरोजगार को अपनी आजीविका का जरिया बनाकर युवाओं को नई राह दिखाई है। इन्हीं युवाओं में पौड़ी गढ़वाल जिले के सुनील सिंह पयाल भी है, जो खुद की बेकरी संचालित कर विभिन्न प्रकार के केक, बिस्कुट और पेस्ट्री जैसे अनेकों बेहतरीन उत्पाद तैयार कर लोगों तक पहुंचा रहे हैं।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर ब्लॉक के आमणी तल्ली गांव निवासी सुनील पयाल ने स्वयं की बेकरी खोलकर स्वरोजगार की दिशा में अपने कदम बढ़ाए हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि सुनील ने कोरोना महामारी के बाद अपना ये स्वरोजगार शुरू किया है उससे पूर्व तक वह भी राज्य के अन्य युवाओं की तरह पंजाब में नौकरी करते थे। सुनील के मुताबिक बीते दो दशक से वह पंजाब के जालंधर में एक बेकरी में काम करते थे। बेकरी में वह बिस्कुट, केक और पेस्ट्री आदि तैयार करते थे परन्तु कोरोना काल में उनकी नौकरी चली गई जिस कारण उन्हें वापस घर लौटना पड़ा। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और कुछ महीने घर पर खाली बैठने के पश्चात उन्होंने गांव के समीप ही खैरखाल में एक दुकान किराए पर लेकर उसमें बेकरी का व्यवसाय शुरू किया। उनकी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि आज वह इसी बेकरी के माध्यम से न केवल अपनी आजीविका चलाने में सक्षम हो गए है बल्कि परिवार का भरण-पोषण भी कर रहे हैं।
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