Uttarakhand Forester Result: अब वन दरोगा की भर्ती प्रक्रिया भी काटेंगी कोर्ट के चक्कर, आयोग की उदासीन कार्यप्रणाली के चलते फिर विवादों में घिरी एक और भर्ती परीक्षा..
ये उत्तराखण्ड है जनाब, यहां अगर सरकारी नौकरी की भर्ती प्रक्रिया बिना विवादों में आए पूरी हो जाए, ऐसा संभव ही नहीं है। अब तक के आंकड़े इस बात के गवाह है। जी हां.. सरकारी भर्ती प्रक्रिया संचालित करने वाला उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग इन दिनों एक बार फिर से चर्चाओं में हैं। इस बार हो रहे विवाद का कारण है बीते वर्ष आयोजित हुई वन दरोगा की परीक्षा, जिसका परीक्षा परिणाम आयोग द्वारा घोषित भी कर दिया गया है। बताया गया है कि आयोग द्वारा घोषित रिजल्ट में 1800 में से 332 सवालों को पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्न मानते हुए मूल्यांकन से हटा दिया गया है। और इन प्रश्नों के एवज में सभी उम्मीदवारों को बोनस अंक दिए गए हैं। अब उम्मीदवार आयोग के इस कारनामे के विरोध में उतर आए हैं। युवाओं का विरोध लाजमी भी है क्योंकि सवाल तो उठता ही है कि जब इतनी बड़ी मात्रा में प्रश्न गलत है या पाठ्यक्रम से बाहर है तो आयोग उस समय कहां था जब प्रश्न पत्रों को तैयार किया जा रहा था। इससे न केवल उम्मीदवारों को भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की आंशका हो रही है बल्कि उनका तो यहां तक कहना है कि आयोग द्वारा यह प्रक्रिया अपने चहेतों को नौकरी देने के लिए अपनाई जाती है।
(Uttarakhand Forester Result)
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बता दें कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा दिसंबर 2019 में वन दरोगा के 316 पदों पर भर्ती के लए नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसमें करीब डेढ़ लाख अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन किया गया था। जिसके उपरांत आयोग ने पिछले वर्ष 16 जुलाई से 25 जुलाई के बीच 18 पालियों में ऑनलाइन लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था। इस हिसाब से इस परीक्षा में अलग-अलग प्रश्न पत्रों के माध्यम से 1800 प्रश्न पूछे गए थे। जिनमें से 332 सवालों को पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्न मानते हुए मूल्यांकन से हटा दिया। आयोग की इस कार्यप्रणाली की आलोचना करते हुए उम्मीदवारों ने न सिर्फ उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है बल्कि इस मामले में अभी तक नैनीताल उच्च न्यायालय में 10 याचिकाएं दायर हो चुकी है।
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