Pramod negi Rajouri encounter: राजौरी मुठभेड़ में शहीद हुए थे प्रमोद नेगी, शुक्रवार को मिली थी शहादत की खबर, गुरुवार देर रात अंतिम बार हुई थी मां से बात….
“मां, मैं जरूरी मिशन पर जा रहा हूं, हो सकता 10 दिन मोबाइल बंद रहे। चिंता मत करना। मैं जल्द मिशन फतह कर लौटूंगा। मैं ठीक हूं, तुम अपना ख्याल रखना” यही वो शब्द थे, जो देश के वीर जांबाज सपूत प्रमोद नेगी ने अंतिम बार फोन पर बातचीत के दौरान अपनी मां से कहें थे। गुरुवार देर रात 11 बजे कहे शहीद प्रमोद के ये शब्द अभी भी उनके परिजनों के कानों में गूंज रहे हैं। शहीद बेटे को याद कर बार-बार बेसुध हो रही मां तारा देवी ने गुरुवार रात को शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा कि यही प्रमोद के अंतिम शब्द होंगे। हाल-चाल लेने के कुछ ही घंटे बाद बीते शुक्रवार को जैसे ही उन्हें जवान बेटे के मुठभेड़ में शहीद होने की खबर मिली तो वह बेसुध हो गई। हालांकि शहीद प्रमोद का पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंचने पर उन्होंने खुद को संभाला और बेटे को नोटों का हार पहना और गले लगाकर अपने लाल को हमेशा के लिए विदा किया। यह दृश्य देख वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गई। इस दौरान समूचा क्षेत्र प्रमोद नेगी अमर रहे और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों से गूंज उठा। परिजनों के अंतिम दर्शनों के बाद शहीद प्रमोद का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान पिता देवेंद्र नेगी, और छोटे भाई नितेश नेगी ने उन्हें मुखाग्नि दी।
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गौरतलब है कि बीते रोज जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में भारतीय सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे। जिनमें उत्तराखंड निवासी रुचिन सिंह रावत, पश्चिम बंगाल के सिद्धांत क्षेत्री, जम्मू-कश्मीर के नीलम सिंह और हिमाचल प्रदेश के अरविंद कुमार व प्रमोद नेगी शामिल थे। बता दें कि शहीद पैराट्रूपर प्रमोद नेगी, हिमाचल प्रदेश के शिरमौर जिले के शिलाई गांव निवासी प्रमोद नेगी करीब 6 साल पहले भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स में भर्ती हुए थे। वर्तमान में उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर के राजौरी में थी। जहां सेना द्वारा चलाए जा रहे आपरेशन त्रिशूल का वह भी एक अहम हिस्सा थे। बताते चलें कि शहीद प्रमोद अपने पीछे माता तारा देवी, पिता देवेंद्र नेगी, बहन और छोटे भाई नितेश नेगी को रोते बिलखते छोड़ गए हैं। आपको बता दें कि शहीद प्रमोद का छोटा भाई नितेश भी भारतीय सेना में कार्यरत हैं। वर्तमान में उसकी तैनाती भी जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में थी। शनिवार को जैसे ही वह अपने भाई के पार्थिव शरीर के साथ घर पहुंचा तो परिजन नितेश से लिपट कर फूट-फूट कर रोए। दिल में बड़े भाई को खोने का दर्द छिपा कर नितेश ने अपने माता-पिता को ढांढस बंधाने की भरपूर कोशिश की, देर शाम करीब साढ़े छः बजे के आसपास शहीद प्रमोद पंचतत्व में विलीन हो गए।
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