Connect with us
Mamta Joshi poem
फोटो देवभूमि दर्शन Mamta Joshi poem

उत्तराखण्ड

कुमाऊंनी कविता- “मेरे टूटते बिखरते पहाड़ पहाडों पीड़…” ममता जोशी (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

कुमाऊंनी कविता- मेरे टूटते बिखरते पहाड़ पहाडों पीड़….Mamta Joshi poem

किलै यू पहाडी शिरखलाये टूटम रई ,
यस लागमो हमुहबै
यो सब रूठम रई।
किलै यो विनाश लीला
शुरू हैगे,
यस लागमरौ हमरी मति
भरष्ट हैगे।
के करूल जब आपड
पहाड़ नी रला,
जब पहाड़ हैंल
तब हम सब पहाड़ी रौला।
सड़क, पाडी डैम और लै सब म्यर पहाडों कै
खै गई,
मैं बस मन मन रोते रै गई।
कत बै ल्यौल इन ❤️पहाडों को सोचो जरा ,
यौ नि रला हम कति जौल सोचो जरा ?🙏
रचना- ममता जोशी, 368 गगन विहार, दिल्ली
Mamta Joshi poem

यह भी पढ़ें- गढ़वाली कविता- “यकुलाँस……” सतीश बस्नुवाल (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

उत्तराखंड की सभी ताजा खबरों के लिए देवभूमि दर्शन के WHATSAPP GROUP से जुडिए।

👉👉TWITTER पर जुडिए।

More in उत्तराखण्ड

To Top
हिमाचल में दो सगे नेगी भाइयो ने एक ही लड़की से रचाई शादी -Himachal marriage viral पहाड़ी ककड़ी खाने के 7 जबरदस्त फायदे!