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kailash Upreti komal poem
फोटो देवभूमि दर्शन kailash Upreti komal poems

उत्तराखण्ड

गढ़वाली कविता- “फूलदेई….” कैलाश उप्रेती कोमल (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

गढ़वाली कविता- फूलदेई…kailash Upreti komal poems

फूलदेई फुल्यार एेगे,
बसन्तै बयार ल्यैगे |
हैंसदा फूलों तैं मेरी,
देल्यों देल्यों माँ द्यैगे ||
यूँ फूलों कू रंग देखी ,
सूनी द्येली भी हैंसिगे |
बण -बण का फूल अब त,
बसन्त कू रैबार ल्यैगे ||
घुघुती घुराँण लैगे,
भिटोली कू मास ऐगे |
कब म्यारा मैती आला,
बेटी ब्वारियों की आस लैगे ||
बसन्त बयार ऐगे ,
बणों मां मोयार ल्यैगे |
फ्यूंली हैंसी हैंसी कदि,
प्रीत कू आभास द्यैगे ||
मन मां तौं (प्रियतम) की याद ऐगे,
परदेश मां चित चलिगे |
कब आला घौर तुम,
अब त मधुमास लैगे ||
न्योलि भी बासण लैगे,
बुराँश हैंसण लैगे |
हर् यां -भर् यां बणों का बीच,
बसन्तै रूमाल छैगे ||
फूलदेई फुल्यार ऐगे,
बसन्तै बयार ल्यैगे |
कुदग्याली जिकुडी़ हैंसैगे,
खुद अब त तौं(प्रियतम)की लैगे ||
रचना- कैलाश उप्रेती कोमल, ग्राम स्यूटा,पो ओ खैनोली,
जिला चमोली (उत्तराखण्ड)
kailash Upreti komal poems
यह भी पढ़ें- कुमाऊंनी कविता- “गौ घर छोड़ बेर जानी प्रदेश…” निधि मेहरा (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

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