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Deepika poem
फोटो देवभूमि दर्शन Deepika poem

उत्तराखण्ड

गढ़वाली कविता- “कथा हरची मेरा मुल्क की रिवाज…” दीपिका (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

गढ़वाली कविता- कथा हरची मेरा मुल्क की रिवाज…..Deepika poem

कख हरची मेरा मुल्क की रिवाज
हमारा एक बनी बनी का रितु ऑन च्छा
बनी बनी का त्योहार कौथी
हुंदाचा
हमारा यह जवारी रितु बॉडी ओं थे
सचेत का महीना बटन फागुन तक
मां का भीतर नहीं आशा नहीं उमंग सदानी रोंडी
हमारा यज्ञ माग की साग्रंडी हिंदी जय मां आशा और कलयुग की रसायन बीते मैथ की याद दिलाउंडी
हमारे यज्ञ बसंत पंचमी की चचरी ध्यान बेटी लगूंदी
हमारा एक पहले घर घर मानचित्र का चटवाल गीत लागदाचा
बाद सभी ध्यानयों के आओ बौटू
ली देते हैंआशीष दिनचा
हमारा एक घर-घर हुआ होली का होलिया एक कर गीत गंदा अच्छा
मिली जुली के भाईचारे को संदेश दिनचा
न जानी क हरची मेरा मुल्क की रिवाज
रचना- कुमारी दीपिका, ग्राम मानूर, नारायणबगड़, जिला- चमोली (उत्तराखण्ड)
Deepika poem

यह भी पढ़ें- कुमाऊंनी कविता- “मेरो पहाड़, रंगीलो पहाड़….” कशिश अधिकारी (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

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