कुमाऊनी कविता – मेरो पहाड़, रंगीलो पहाड़…Kashish adhikari poem
मेरो पहाड़, रंगलो पहाड़।
अलग अलग छन खोला गाड।।
संस्कृति यों कि न्यारी छ।
बोली बहुत प्यारी छ।।
जाग-जाग में देवी देवता थान।
राते बयाल करनी प्रणाम।।
मातृभूमि संग सबन के प्यार।
रक्षा करण हमर अधिकार।।
जंगलों में दिनोंन पशुओं के मार।
पाप चडुनॉन अपना कपाल।।
गौ में अलग-अलग छन प्राणी।
मुख में सबों का एक ही वाणी।।
हमर संस्कृति, हमर समाज।
उत्तराखंड हमर खोर का ताज।।
हमर मातृभूमि सबों है न्यारी।
हम सब के छ बहुत प्यारी।। रचना – कशिश अधिकारी, लोहाघाट, जिला- चम्पावत (उत्तराखंड) Kashish adhikari poem यह भी पढ़ें- कुमाऊंनी कविता -प्रवासी क पीड़…..चन्द्र शेखर लोहुमी (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)