Uttarakhand school mid day meal scam corruption dehradun latest news: मिड डे मील घोटाला: बच्चों के निवाले पर डाका, करोड़ों रुपये खुद के खातों में डाल दिए!
Uttarakhand school mid day meal scam corruption dehradun latest news: उत्तराखंड के देहरादून जिले से एक बड़ी खबर सामने आ रही है जहां एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। बताया गया है कि इस बार बच्चों को दोपहर का भोजन उपलब्ध कराने के लिए चलाई जा रही प्रधानमंत्री पोषण योजना (मिड डे मील) में करोड़ों रुपये के गबन का खुलासा हुआ है। हैरानी की बात ये है कि यह पूरा खेल लंबे समय से चलता रहा, लेकिन जिम्मेदार विभाग और अफसर आंख मूंदे रहे।
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फर्जी बिलों के माध्यम से किया अपने खाते में भुगतान uttarakhand mid day meal corruption
शुरुआती जांच में सामने आया है कि इस घोटाले की जड़ें साल 2022 से जुड़ी हैं। आरोप है कि शिक्षा विभाग से जुड़े एक कर्मचारी ने स्कूलों के नाम पर जारी की गई भोजन आपूर्ति की रकम को आउटसोर्स कंपनियों के फर्जी बिलों के माध्यम से अपने और परिजनों के खातों में ट्रांसफर करवा दिया। यह पूरा फर्जीवाड़ा तीन करोड़ रुपये से भी अधिक का बताया जा रहा है। देहरादून के डीईओ बेसिक पीएल भारती ने इस घोटाले की पुष्टि की है।
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किसने डाली बच्चों के हिस्से की थाली पर नजर? Uttarakhand latest scam mid day meal news
बताया जा रहा है आरोपी एक उपनल कर्मचारी हैं , जो बच्चों के भोजन की खरीद-फरोख्त में सक्रिय रूप से शामिल रहा। विभागीय ऑडिट में यह बात सामने आई कि स्कूलों में भेजे जाने वाले राशन और सामान की रसीदें और बिल बनाकर भुगतान अपने ही खाते में ट्रांसफर कराए गए। यही नहीं, कुछ बिल ऐसे फर्मों के नाम पर बने मिले जो कभी अस्तित्व में थीं ही नहीं।
अब सवाल ये है कि अगर यह फर्जीवाड़ा पिछले तीन वर्षों से चल रहा था, तो शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इतने लंबे समय तक चुप क्यों बैठे रहे? क्या यह घोटाला किसी एक कर्मचारी की करतूत थी या फिर इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क है? ये भी बड़ा सवाल है कि क्या इसके पीछे बैठे जिम्मेदार अधिकारियों को बचाने के लिए एक उपनल कर्मचारी के गले में तलवार लटकाई जा रही है।
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पुलिस व विभागीय जांच की तैयारियां शुरू
फिलहाल शिक्षा विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी शुरू कर दी है। जिला शिक्षा अधिकारी प्रेम लाल भारती ने पुष्टि की है कि पूरे मामले की जांच के लिए जांच अधिकारी नियुक्त किए जा रहे हैं। साथ ही मामले की गहराई से छानबीन के लिए जिला स्तर पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे शासन को भेजा जाएगा। शुरुआती जांच में कुछ ऐसे ट्रांजेक्शन और बैंक खातों का पता चला है जो आरोपी कर्मचारी के साथ-साथ उनके नजदीकी रिश्तेदारों के नाम पर हैं। जिन पर सीधे तौर पर सरकारी धन जमा होने की बात सामने आ रही है।
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विभाग की चुप्पी भी संदेह के घेरे में
जांच एजेंसियों और शिक्षा विभाग के पास यह स्पष्ट जवाब नहीं है कि तीन साल तक चले इस वित्तीय खेल की भनक अधिकारियों को क्यों नहीं लगी। क्या यह सिर्फ लापरवाही थी या फिर विभाग के कुछ अन्य कर्मचारी और अफसर भी इस घोटाले का हिस्सा थे? हालांकि शिक्षा विभाग का कहना है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे पूरे नेटवर्क का खुलासा किया जाएगा। अगर इसमें कोई बड़ा अधिकारी संलिप्त पाया गया तो उसे भी जांच के घेरे में लाया जाएगा। अब यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि क्या जांच एजेंसियां वास्तव में दोषियों तक पहुंच पाती हैं, या फिर यह मामला भी समय के साथ फाइलों में दबकर रह जाएगा।
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