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Pithoragarh news: BDC चुनाव हारने से आहत प्रत्याशी लक्ष्मण गिरी ने खत्म कर दी अपनी जिंदगी
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BDC member candidate lakshman giri LG baba suicide case lelu wadda Pithoragarh panchayat election news today: पिथौरागढ़ में पंचायत चुनाव हारने के बाद बीडीसी प्रत्याशी ने खाया जहर, इलाज के दौरान तोड़ा दम
BDC member candidate lakshman giri LG baba suicide case lelu wadda Pithoragarh panchayat election news today: उत्तराखण्ड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का शोर भले ही थम चुका हों परन्तु राज्य पिथौरागढ़ जिले से आ रही एक दुखद खबर ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया के पीछे छिपी सामाजिक और मानसिक चुनौतियों को उजागर कर दिया है। जहां बीडीसी का चुनाव हारने के बाद एक प्रत्याशी ने आत्मघाती कदम उठा लिया। बताया गया है कि चुनावी नतीजे घोषित होने के अगले दिन देर रात जहरीला पदार्थ निगलने के बाद अस्पताल ले जाए गए प्रत्याशी की इलाज के दौरान मौत हो गई।
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लक्ष्मण ने लेलू प्रथम से लड़ा था क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव, मिले महज 15 वोट….
अभी तक मिल रही जानकारी के मुताबिक मूल रूप से राज्य के पिथौरागढ़ जिले विण ब्लॉक के लेलू ग्राम पंचायत के तोक सन गांव निवासी लक्ष्मण गिरी उर्फ एलजी बाबा ने लेलू प्रथम क्षेत्र पंचायत सीट से इस बार बीडीसी (ब्लॉक डेवलपमेंट कमेटी) सदस्य पद के लिए चुनावी रणभूमि में उतरे थे। बीते 31 जुलाई को मतगणना में उन्हें मात्र 15 वोट प्राप्त हुए, और वे पांचवे नंबर पर रहे। स्थानीय लोगों के मुताबिक परिणामों के बाद वे तनाव में दिख रहे थे, लेकिन किसी को यह अंदाजा नहीं था कि वे इतना बड़ा कदम उठा लेंगे।
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वड्डा में चाय की दुकान चलाते थे लक्ष्मण, सीमित संसाधनों से लड़ा था पंचायत चुनाव BDC candidate lakshman giri LG baba suicide case Pithoragarh news today
परिजनों के अनुसार देर शाम लक्ष्मण ने अपने घर पर कोई विषाक्त पदार्थ खा लिया। जब उनकी तबीयत बिगड़ने लगी, तो परिजन उन्हें गंभीर हालत में रात करीब दस बजे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। लक्ष्मण, पिथौरागढ़ जिले के ही वड्डा क्षेत्र में एक छोटी चाय दुकान चला कर जीवन यापन करते थे। उन्होंने सीमित संसाधनों के बावजूद बीडीसी सीट से चुनाव लड़ने का साहसिक निर्णय लिया था, लेकिन हार ने उन्हें भीतर से तोड़ दिया।
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ग्रामीणों के अनुसार, लक्ष्मण पूर्व में भी आत्महत्या का प्रयास कर चुके थे। अब यह कहना मुश्किल है कि चुनाव में हार ही उनकी मौत की मुख्य वजह थी या इसके पीछे कोई गंभीर पारिवारिक विवाद भी कारण बना। स्थानीय चर्चाओं में पारिवारिक तनाव की बातें भी सामने आ रही हैं, लेकिन कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि उस सामाजिक मानसिकता पर भी सवाल उठाती है जिसमें चुनावी हार को अपमान की तरह लिया जाता है। हार-जीत लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन मानसिक दबाव और सामाजिक अपेक्षाएं व्यक्ति को किस हद तक तोड़ सकती हैं, यह मामला उसका जीता-जागता उदाहरण बन गया है।
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