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Dharali Maa Bhagwati Kuldevi Rajrajeshwari Murti recovered cloudburst Uttarkashi
फोटो सोशल मीडिया Bhagwati Murti Dharali Uttarkashi

UTTARAKHAND NEWS

उत्तरकाशी: धराली में चमत्कार मलबे से सुरक्षित निकली मां भगवती की 400 साल पुरानी मूर्ति

Dharali Maa Bhagwati Kuldevi Rajrajeshwari Murti recovered cloudburst Uttarkashi: धराली आपदा में चमत्कार: मलबे से सुरक्षित निकली कुलदेवी मां राजराजेश्वरी की चांदी की मूर्ति, तीसरी बार अक्षुण्ण रहीं

Dharali Maa Bhagwati Kuldevi Rajrajeshwari Murti recovered cloudburst Uttarkashi: उत्तराखण्ड को यूं हीं देवभूमि नहीं कहा जाता है। यहां की पावन धरा पर समय-समय पर होने वाले अकल्पनीय चमत्कार इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि उत्तराखंड में साक्षात देवी देवताओं का वास है। ऐसा ही एक अद्भुत अद्वितीय एवं अकल्पनीय चमत्कार उत्तरकाशी ज़िले के धराली में घटित हुआ है।

जी हां… उत्तरकाशी ज़िले के धराली में आई जिस भीषण आपदा ने पूरे गांव को मलबे में तब्दील कर दिया, वहीं 12वें दिन राहत-बचाव कार्य के बीच ऐसा दृश्य सामने आया जिसने हर किसी को आश्चर्य और आस्था से भर दिया। आपको बता दें कि मलबे के ढेर से ग्रामीणों की कुलदेवी मां राजराजेश्वरी की चांदी की मूर्ति, उनकी कटार और कई अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ सुरक्षित अवस्था में मिलीं है।

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400 साल पुरानी आस्था का प्रतीक, पहले भी दो बार अक्षुण्ण रहीं मां की मूर्ति

इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि मां राजराजेश्वरी की यह मूर्ति करीब 400 साल पुरानी है। इसे हिमाचल प्रदेश से लाकर गांव में स्थापित किया गया था। मंदिर गांव के प्रवेश द्वार पर गलाण थोक में स्थित था और इसे हिमाचली कारीगरों द्वारा देवदार की लकड़ी से तैयार किया था। समय-समय पर आपदाओं और विपदाओं के बावजूद यह स्थान श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है।

मीडिया से बातचीत में ग्रामीण बताते हैं कि यह पहली बार नहीं है जब मूर्ति किसी विपत्ति के बाद सुरक्षित मिली हो। इससे पहले वर्ष 1971 और फिर 1982-83 में जब गांव में भीषण अग्निकांड हुआ था, तब भी मूर्ति अक्षुण्ण रही थी। अब 5 अगस्त को आई बाढ़ और भूस्खलन में मंदिर पूरी तरह ध्वस्त हो गया था और मूर्ति मलबे में दब गई थी।
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आपदा के 12वें दिन मिला चमत्कार, ग्रामीणों की आंखों में छलके आंसू, हाथ जोड़कर किया प्रणाम

बचाव कार्य के दौरान जब मलबा हटाया गया तो करीब 25 फीट गहराई में एक पेड़ दबा हुआ मिला जिसे हटाने पर एक पुराना संदूक दिखाई दिया। उसमें से मां राजराजेश्वरी की चांदी की मूर्ति, उनकी कटार, पंचमुखी शिव, पांच पांडवों और शालिग्राम की प्रतिमाएँ, त्रिशूल, सिंहासन आदि सुरक्षित अवस्था में निकलीं। ग्रामीणों ने बताया कि मूर्ति पर जड़ी हुई बिंदी तक जस की तस थी। धराली में आई भीषण जलप्रलय के बाद कुलदेवी की मूर्ति का बिल्कुल सकुशल मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं है। यही कारण है कि जैसे ही मूर्ति मिलने की सूचना फैली, सैकड़ों ग्रामीण मौके पर पहुंचे।
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मलबे से मूर्ति को निकलते देख लोगों की आंखें नम हो गईं और उनके हाथ खुद-ब-खुद जुड़कर मां को प्रणाम करने लगे। आपदा में घर-परिवार खो चुके ग्रामीणों ने इसे देवी का आशीर्वाद मानते हुए भावुक होकर पूजा-अर्चना की। उनका कहना है कि मां ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी शक्ति पर कोई आपदा भारी नहीं पड़ सकती। फिलहाल मूर्ति को सुरक्षित रूप से एक होटल के कमरे में रखा गया है। ग्रामीणों ने संकल्प लिया है कि आपदा के हालात सामान्य होने के बाद मां का एक नया भव्य मंदिर बनाया जाएगा और उसमें मूर्ति को विधिवत स्थापित किया जाएगा।
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