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उत्तराखण्ड

देहरादून

पौड़ी गढ़वाल

उत्तराखंड: पहाड़ का बेटा रोहित बना भारतीय सेना में अफसर, माता-पिता ने खुद कंधों पर लगाए सितारे

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देश की आन-बान एवं शान भारतीय सेना में भर्ती होना उत्तराखण्ड के प्रत्येक नौजवान का सपना होता है। एक ऐसा सपना जिसके लिए वो ऐड़ी चोटी का जोर लगा देता है। ये बात हम नहीं कह रहे हैं अपितु सेना में भर्ती हुए राज्य के नागरिकों की संख्या के आंकड़े इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। छोटी सी छोटी पोस्ट से लेकर एक अफसर तक, यहां तक की सेना प्रमुख के महत्वपूर्ण पद तक भी ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां राज्य के वाशिंदे ना पहुंचे हों। आज हम आपको एक ऐसे ही युवा से रूबरू करा रहे हैं, जिसने सेना में अफसर बनकर न सिर्फ अपने बचपन का सपना पूरा किया है अपितु एक बार फिर राज्य को गौरवान्वित होने का सुनहरा अवसर दिया है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के रहने वाले रोहित रावत की। जो ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) चेन्नई से पासआउट होकर सेना में अफसर बन गए हैं। सबसे खास बात तो यह है कि रोहित ने सेना में भर्ती होने का यह सपना बचपन में तब देखा था, जब उन्हें आईएमए में पास‌आउट परेड (पीओपी) देखने का मौका मिला था।




बता दें कि वर्तमान में देहरादून जिले के शमशेरगढ़ में रहने वाले एवं मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल जिले के पैडुल गांव निवासी रोहित रावत 11 महीने के कठिन प्रशिक्षण के बाद सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। रोहित के पिता सोहन सिंह रावत सचिवालय के रिटायर्ड कर्मी हैं जबकि उनकी माता आशा रावत एक कुशल गृहिणी हैं। रोहित ने ग्लेशियर पब्लिक स्कूल से हाईस्कूल एवं एसजीआरआर बालावाला से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत वर्ष 2016 में डीएवी पीजी कॉलेज से बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की। इस दौरान वह कॉलेज में एनसीसी के अंडर ऑफिसर भी रहे। बीएससी करने के बाद रोहित ने एसएसबी में जाने की तैयारी आरंभ की और उनके कठिन परिश्रम की बदौलत उनका चयन ओटीए चेन्नई में हो गया। जहां से वह 11 महीने की ट्रेनिंग के बाद लेफ्टिनेंट बनकर निकले हैं। ओटीए चेन्नई में आयोजित पास‌आउट परेड में खुद रोहित के माता-पिता ने उनके कंधे पर स्टार लगाकर उन्हें सेना को समर्पित किया। रोहित की इस सफलता से उनके गांव सहित पूरे क्षेत्र में हर्षोल्लास का माहौल है।




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